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मध्य प्रदेश सरकार ने आरटीआई आवेदक से फाइल का नंबर बताने को कहा

बैठकों में किए गए फैसलों का ब्योरा इसकी संबंधित वेबसाइट पर नहीं डाल रही है। यह केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों का उल्लंघन है।

मध्य प्रदेश सरकार ने एक आरटीआई आवेदक को उसके आवेदन के जवाब में कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में गैर-सरकारी अधिकारियों की नियुक्तियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए वह फाइल नंबर और तारीख जैसा विवरण बताए। सरकार की ओर से यह असामान्य जवाब भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अजय दुबे को भेजा गया है, जिन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यालय में गैर-सरकारी पदों पर नियुक्तियों का विवरण मांगा था। 

राज्य सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा हिन्दी में दिए गए जवाब में कहा गया है, “आपने जानकारी मांगते समय किसी विशिष्ट व्यक्ति या फ़ाइल संख्या, (या) तारीख (उसकी) का उल्लेख नहीं किया है। इसलिए, सूचना प्रदान करने में कठिनाई हो रही है।’’ गौरतलब है कि राजेंद्र मिगलानी अनुबंध पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के सलाहकार और संजय कुमार श्रीवास्तव को विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) नियुक्त किया गया है। 

वे मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी माने जाते हैं और निजी व्यक्ति हैं। कुछ अधिकारी सरकार में सीधी नियुक्ति पाने वाले निजी व्यक्तियों को लेकर कथित रूप से नाराज हैं। उनका दावा है कि इससे प्रशासन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन अधिकारियों ने दावा किया कि सरकारी अधिकारियों का तबादला राज्य में शासन को प्रभावित करने का एक तरीका है। 

दिसंबर में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद, राज्य में आईएएस और आईपीएस सहित कई अधिकारियों के तबादले हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य प्रशासन द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे तबादलों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। 

सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने आरोप लगाया है कि दिसंबर में नई सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य में जूनियर से लेकर शीर्ष स्तर तक – सभी श्रेणियों में नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के भारी संख्या में तबादले हुए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार हुआ है। 

दुबे ने नौकरशाहों के तबादलों का फैसला करने वाले लोकसेवा बोर्ड की कार्यवाहियों का भी ब्योरा मांगा था, लेकिन सूचना को गोपनीय बताकर जानकारी देने से इनकार कर दिया गया। राज्य सरकार ने कहा, ‘‘आपके द्वारा मांगी गई सूचना गोपनीय प्रकृति की है।’’ दुबे ने कहा, ‘‘राज्य सरकार लोकसेवा बोर्ड की बैठकों में किए गए फैसलों का ब्योरा इसकी संबंधित वेबसाइट पर नहीं डाल रही है। यह केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों का उल्लंघन है।

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