मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने उम्मीदवारों की बैठक बुलाई। इस बैठक में कई उम्मीदवार और निर्वाचित विधायकों ने खुलकर अपना दुखड़ा सुनाया। साथ ही इशारों-इशारों में वरिष्ठ नेताओं पर भी निशाना साधा।
राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 230 सीटों में से महज 66 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है। चुनाव में मिली हार की वजह को जानने के लिए प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने उम्मीदवारों की बैठक बुलाई।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में कांग्रेस के कई उम्मीदवारों के तेवर तीखे थे और उन्होंने खुले तौर पर आरोप लगाया कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में कांग्रेस और कमजोर हो जाएगी। एक उम्मीदवार ने तो कहा कि नेताओं और भीतरघातियों ने ही कांग्रेस को हरवाया है। अगर समय रहते ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं की गई तो कांग्रेस को और नुकसान होगा।
इस बैठक में एक उम्मीदवार ने यहां तक कहा कि भाजपा द्वारा फैलाए गए भ्रम के जाल में कांग्रेस फंस गई और हार का सामना किया। भाजपा द्वारा फैलाए गए भ्रम में कांग्रेस के नेताओं को लगने लगा था कि उन्हें चुनाव में बढ़त है और उनकी सरकार बनाने जा रही है। जिसके चलते वे घरों में बैठ गए और उन्होंने सक्रियता नहीं दिखाई।
कांग्रेस के एक उम्मीदवार ने भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की नजदीकियों की भी चर्चा की और यहां तक कहा कि भाजपा के नेताओं से हमारे दल के नेताओं की गलबहियां ही मुसीबत का कारण बन गई है।
नेता दोस्ती करते हैं, गलबहियां करते हैं और नुकसान कार्यकर्ता का होता है। चुनाव में बड़ी हार का कारण भी यही है। कई उम्मीदवारों ने तो ईवीएम और लाडली बहना योजना की भी चर्चा की। इस बैठक में कमलनाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री सुरेश पचैरी, अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और विधायक अजय सिंह के अलावा कई बड़े नेता मौजूद थे।