मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर सरकार बना ली है। शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार की रात 9 बजे राजभवन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कमलनाथ की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के गिरने के कुछ दिनों बाद उन्होंने सीएम पद की शपथ ली। उन्हें शपथ राज्यपाल लालजी टंडन ने दिलाई। शिवराज के सीएम पद की शपथ लेने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने उन्हें बधाई।
कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा कहा, “प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान के शपथ लेने पर मै उन्हें बधाई देता हूँ। साथ ही उम्मीद करता है कि कांग्रेस सरकार द्वारा विगत 15 माह में शुरू किये गये जनहितैषी कार्यों , निर्णयों व योजनाओं को प्रदेश हित में वे आगे बढ़ाएंगे।” शपथ ग्रहण करने के बाद चौहान ने जनता कर्फ्यू की सफलता का जिक्र करते हुए लोगों से आह्वान किया है कि वे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आगे आएं। शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मौजूद रहे।
प्रदेश के 19 वे मुख्यमंत्री के रूप में श्री शिवराज सिंह चौहान के शपथ लेने पर मै उन्हें बधाई देता हूँ।
साथ ही उम्मीद करता है कि कांग्रेस सरकार द्वारा विगत 15 माह में शुरू किये गये जनहितैषी कार्यों , निर्णयों व योजनाओं को प्रदेश हित में वे आगे बढ़ाएँगे।@ChouhanShivraj
1/3— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 23, 2020
भाजपा विधायक चौहान को अपना नेता चुने जाने के बाद बस में सवार होकर राजभवन पहुंचे थे। भाजपा ने कोरोना वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए भाजपा की बैठक में विधायकों को एक दूसरे से एक मीटर से ज्यादा की दूरी पर बैठाया था। चौहान इससे पहले तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, फिर आठ दिसंबर 2013 में तीसरी बार शपथ ली थी।
भाजपा प्रदेश मुख्यालय में यहां पार्टी विधायकों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दल के नेता के चयन के लिए विधायकों को आमंत्रित किया। जिस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधायक दल के नेता के रूप में चौहान के नाम का प्रस्ताव किया, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया। वीडियो कफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय पर्यवेक्षक अरुण सिंह ने भार्गव के प्रस्ताव का विधायकों द्वारा समर्थन किए जाने पर चौहान को विधायक दल का नेता चुनने का ऐलान किया।
कमलनाथ द्वारा 20 मार्च को इस्तीफा सौंपे जाने के बाद से भाजपा में सरकार गठन की कवायद चल रही थी। पार्टी के निर्देश पर शाम छह बजे विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में विधायकों से केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर विनय सहस्त्रबुद्धे व अरुण सिंह ने वीडियो कफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की।
उसके बाद सर्वसम्मति से चौहान को नेता चुना गया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है, रीवा, सीधी, सिंगरौली आदि स्थानों के विधायक बैठक में नहीं आ पाए, मगर उनकी सहमति ली गई। कुल विधायकों में 80-85 प्रतिशत विधायक बैठक में पहुंचे। भाजपा ने कोरोनावायरस को लेकर बैठक में हिस्सा लेने आने वाले विधायकों को अन्य किसी को साथ न लाने के निर्देश दिए थे, जिसका सभी ने पालन किया।
इसके अलावा विधायक मास्क लगाए हुए थे और उन्होंने सेनेटाइजर का उपयोग कर ही बैठक में हिस्सा लिया। ज्ञात हो कि कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावत करने और सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को पद से इस्तीफा दे दिया था।
उसके बाद से कमलनाथ सरकार को राज्यपाल ने कार्यवाहक के तौर पर काम करने के निर्देश दिए थे।भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते राज्य के लिए स्थायी सरकार की जरूरत है। इसलिए भाजपा ने विधायक दल की बैठक बुलाई और नेता का चुनाव किया।