तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में एक महिला को दूषित रक्त चढ़ाए जाने के बाद उसके एचआईवी संक्रमित होने के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन जनवरी तक कार्रवाई और स्थिति रिपोर्ट दायर करे। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति पीटी आशा की अवकाशकालीन पीठ ने जब कार्यवाही शुरू की तब दो अधिवक्ताओं ने इस मामले का उल्लेख किया।
अधिवक्ता जॉर्ज विलियम्स और कृष्णामूर्ति ने रक्त चढ़ाए जाने से संबंधित शीघ्र सुनवाई के लिये उल्लेख किया और अदालत से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने को कहा। विलियम्स ने कहा कि वह यह मामला कोर्ट के संज्ञान में लाना चाहते हैं और कोई याचिका दायर करने के इच्छुक नहीं हैं।
इस पर पीठ ने कहा कि वह इस पर स्वत: संज्ञान लेगी और स्वास्थ्य सचिव को नोटिस जारी कर घटना की स्थिति रिपोर्ट और गलती के लिये जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई रिपोर्ट तीन जनवरी तक तलब की। महिला तीन दिसंबर को प्रसवपूर्व जांच के लिये सत्तूर के सरकारी अस्पताल में पहुंची थी जहां रक्त की कमी के चलते उसे खून चढ़वाने की सलाह दी गई।
इस प्रक्रिया के चार दिन बाद यह सामने आया कि महिला को जो रक्त चढ़ाया गया था वह एचआईवी संक्रमित था और अस्पताल के लैब टेक्नीशियन ने लापरवाही से उस पर सुरक्षित होने का लेबल लगा दिया था।