तमिलनाडु के सांसद को गृह मंत्रालय की ओर से हिंदी में जवाब मिला तो उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया। मदुरै से माकपा सांसद एस वेंकटेशन ने हिंदी में जवाब मिलने पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि जिस भाषा में वादी (Plaintiff) पक्ष रखता है तो उसे उसी भाषा में जवाब दिया जाए।
न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति एम दुरईसामी ने मदुरै से माकपा सांसद एस वेंकटेशन की जनहित याचिका पर कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को संघ या राज्य में इस्तेमाल होने वाली किसी भी भाषा में पक्ष रखने का अधिकार है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि राजभाषा अधिनियम भी यही कहता है। पीठ ने कहा, ‘‘अगर अंग्रेजी भाषा में पक्ष रखा गया है तो केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि उसी भाषा में जवाब दिया जाए।’’
सांसद ने अपनी याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उसे केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच सभी पत्राचारों में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्हें तमिलनाडु में सीआरपीएफ भर्ती के लिए परीक्षा केंद्र बनाने से संबंधित एक प्रश्न का केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जवाब हिंदी में मिला था। वेंकटेशन ने ट्वीट किया कि कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अगर जनप्रतिनिधि केंद्र को अंग्रेजी में लिखते हैं, तो जवाब भी उसी भाषा में दिया जाना चाहिए।