मद्रास उच्च न्यायालय ने बकिंघम नहर, अड्यार और कूवम नदियों की सफाई नहीं करने के कारण तमिलनाडु सरकार पर एक सौ करोड़ रूपए का जुर्माना करने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका खारिज शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति आर सुबैया और न्यायमूर्ति सी सरवनन की खंडपीठ ने कहा कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है। पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण कानून की धारा 22 के अनुसार अधिकरण के किसी भी आदेश के खिलाफ केवल उच्चतम न्यायालय में अपील की जा सकती है। उच्च न्यायालय ने यहां अड्यार और कूवम नदियों तथा बकिंघम नहर को पुनजीर्वित करने में सरकार की नाकामी के लिए एनजीटी-दक्षिण क्षेत्र द्वारा लगाए 100 करोड़ रुपये जुर्माने पर नौ अप्रैल को अंतरिम रोक लगाई थी।
सरकार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को जुर्माने की राशि का भुगतान करने का निर्देश देते हुए अधिकरण ने 13 फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि इस धनराशि का इस्तेमाल जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में किया जाए। सरकार ने एनजीटी के आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि यह आदेश बगैर सोच विचार के ही गलत तथ्यों के आधार पर दिया गया है।