महाराष्ट्र में ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार इम्पीरिकल डेटा तैयार करेगी। मराठा और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में यह भी मांग की गई कि जब तक ओबीसी राजनीतिक आरक्षण का निर्णय नहीं ले लिया जाता, तब तक राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं कराए जाएं। यह डेटा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग तैयार करेगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पिछले हफ्ते 27 अगस्त को भी स्थानीय निकाय चुनावों में कोटा रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। तब भी बैठक में चर्चा हुई कि जब तक ओबीसी आरक्षण बहाल नहीं किया जाता, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराए जाएं।
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण देने के सन्दर्भ में कई राजनीतिक दलों से राय मांगी थी। उन्होंने कहा कि यह सभी की राय थी कि स्थानीय निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के नहीं होने चाहिए। सीएम ठाकरे ने कहा कि वह आने वाले दिनों में बैठक में प्राप्त सुझावों और विकल्पों का अध्ययन करेंगे और इस मुद्दे पर निर्णय लेंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष की शुरुआत में महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के लिए ओबीसी के आरक्षण को रद्द कर दिया था और कहा था कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। आदेश में कहा गया कि राज्यों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरी और दाखिला देने में आरक्षण देने का अधिकार नहीं है। इसके लिए जजों ने संविधान के 102वें संशोधन का हवाला दिया।