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महाराष्ट्र: बंबई हाईकोर्ट की न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने दिया इस्तीफा, यौन संबंध का था मामला

बंबई उच्च न्यायालय की न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने इस्तीफा दे दिया है। मामले के मुताबकि, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमले’’ की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था।

महाराष्ट्र की राजधानी बंबई के उच्च न्यायालय की न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने कुछ विवादों के चलते अपना इस्तीफा दे दिया हैं।  यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमले’’ की उनकी व्याख्या को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। उच्च न्यायालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला अभी बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ की अध्यक्षता कर रही थीं, और उन्होंने बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया।
विवादित फैसला
 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने इस्तीफा दिया। उच्चतम न्यायालय की कॉलेजियम ने उन्हें न तो सेवा विस्तार दिया था और न ही पदोन्नति दी थी। जनवरी-फरवरी 2021 में दिए गए उनके विवादित फैसलों के बाद, शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अपनी सिफारिश वापस ले ली थी और अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था। उनका कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो रहा था।
दिया गया इस्तीफा
जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति गनेडीवाला को 12 फरवरी, 2022 को उनके अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद जिला सत्र न्यायाधीश के रूप में वापस जिला न्यायपालिका में पदावनत किया जाता। अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में न तो उनके कार्यकाल का विस्तार हुआ और न ही उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हुई इसलिए न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने अपना इस्तीफा दे दिया। और कुछ समय के बाद ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
पोक्सो अधिनियम के तहत 
 उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति गनेडीवाला जनवरी-फरवरी 2021 में पारित कई फैसलों के लिए सवालों के घेरे में आ गईं थी, जिसमें कहा गया था कि पोक्सो अधिनियम के तहत यदि ‘‘ यौन संबंध बनाने के इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क’’ होता हे तो उसे यौन हमला माना जाएगा और ‘‘ नाबालिग लड़की का हाथ पकड़ना और किसी लड़के की पतलून की जिप खोलना’’ इस अधिनियम के तहत ‘‘यौन हमला’’ नहीं है।

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