भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा है कि पार्टी 2024 में होने वाले लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गई है और उसका जोर कल्याणकारी योजनाओं पर रहेगा।
शहरी क्षेत्रों को पीएमएवाई योजना के तहत लाने पर ध्यान केंद्रित
फड़णवीस ने संकेत दिया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की नयी सरकार शहरी क्षेत्रों में अधिक आबादी को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत लाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। भाजपा नेता के अनुसार, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कल्याणकारी नीतियों की राजनीति ने वास्तव में उनकी पार्टी को लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
केंद्र सरकार की पीएमएवाई योजना में ज्यादा आबादी को शामिल करने पर जोर
फड़णवीस ने कहा, ”भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने किसी बड़ी लागत वाली परियोजना के मुकाबले इसी प्रकार की योजनाओं और नीतियों को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।” फड़णवीस ने संकेत दिया कि शिंदे-फडणवीस सरकार पीएमएवाई में ज्यादा आबादी को शामिल करने पर जोर देगी।
ग्रामीण क्षेत्रों से 75 प्रतिशत आबादी पीएमएवाई के दायरे में
उन्होंने कहा, ”हमारी समीक्षा में पाया गया कि केवल 16 प्रतिशत शहरी लाभार्थियों ने पीएमएवाई के तहत अपने घर बनाए हैं। यह बहुत कम है। योजना का दायरा बढ़ाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, पीएमवाईए में लगभग 75 प्रतिशत आबादी आती है।”
केंद्र सरकार की दो महत्वपूर्ण योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने पर जोर
शिंदे-फडणवीस सरकार की दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर, फड़णवीस ने कहा, “पीएमएवाई योजना के तहत एक घर देना और अर्ध-शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में पेयजल की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइन बिछाना दो प्रमुख परियोजनाएं हैं। हम अगले दो वर्षों में इस पर ध्यान देंगे। यदि हम इन दोनों योजनाओं के तहत लाभार्थियों की संख्या बढ़ाने में सफल हो जाते हैं, तो इसका लाभार्थियों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा और लोकसभा व राज्य के विधानसभा चुनाव में हमें इसका फायदा मिल सकता है।”
आपको बता दे की भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रति काफी सजग होती जा रही हैं। भाजपा शासित राज्य भी केंद्र की योजना का पूर्णवत बखान कर रहे हैं। भाजपा शासित राज्य सरकारे केंद्र के सहारे में अपनी ज्यादा मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। क्योंकि कई राज्यों में लोकसभा के साथ ही चुनाव होने हैं जिनमें पीएम मोदी पर दांव लगा होगा। भाजपा विपक्ष की फूट को भी भुनाना चाहती हैं क्योंकि विपक्ष कई मुद्दों व चेहरों पर सहमत नहीं हो पाया हैं। कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों की पिछलग्गू बनकर रह गई हैं। उत्तर भारत में दो राज्यों को छोड़कर किसी भी राज्य में कांग्रेस का मजबूत जनाधार नहीं रह गया हैं।