मुम्बई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव से भेंट की और राज्य में सूखे से निबटने के लिए शीघ्र केंद्रीय सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार फड़णवीस ने शुक्रवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा से मुलाकात की और राज्य सरकार का सूखा राहत के लिए 7,962.63 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया। बयान के अनुसार एक केंद्रीय दल सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए फिलहाल महाराष्ट्र में है।
महाराष्ट्र में इस बार मानसून के दौरान अपर्याप्त वर्षा हुई तथा राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य के 353 तालुकों में से 151 में सूखा घोषित किया। बयान के अनुसार मिश्रा ने राज्य सरकार को केंद्र से शीघ्र सहायता का आश्वासन दिया। फड़णवीस ने यह भी मांग की कि महाराष्ट्र को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छह लाख और मकान आवंटित किये जाएं । राज्य सरकार ने इस योजना के तहत 500 वर्गफीट के भूखंडों की खरीद के लिए 50000 रुपये तक प्रदान किये हैं।
महाराष्ट्र के 180 तालुकों में सूखे जैसी स्थिति : देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि राज्य के करीब 180 तालुके सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। फडणवीस ने कहा कि केंद्र द्वारा तय किए गए मानदंडों के आधार पर इन तालुकों की पहचान की गई है। स्थिति इसलिए खराब हुई है क्योंकि राज्य में इस साल कम बारिश हुई है। विपक्षी कांग्रेस ने स्थिति पर भाजपा नीत सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य में सीधे सूखा घोषित करना चाहिए और स्थिति को बताने के लिए ‘कमी जैसी’ या ‘सूखा जैसी’ शब्दावली का इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए।
फडणवीस ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक के बाद कहा, “महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति बन गई है। राज्य में वार्षिक औसत की केवल 77 प्रतिशत बारिश हुई है। मैंने केंद्र के मानदंडों के अनुसार 180 तालुकों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करने वाला घोषित किया है और स्थिति के मद्देनजर तत्काल कदम उठाए जा रहे हैं।” राज्य में 36 जिलों में से 350 से ज्यादा तालुके हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राहत उपाय शुरू कर दिए हैं जिसमें भूमि राजस्व, शिक्षण फीस में रियायत, कृषि पंपों के लिए बिजली की आपूर्ति जारी रखना और पीने के पानी के लिए टैंकरों को तैनात करना शामिल है। फडणवीस ने कहा कि केंद्र सरकार की टीम जल्द राज्य का दौरा करेगी और स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय सहायता घोषित करेगी।
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट पर विपक्ष की आलोचना के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बीते तीन साल में कम बारिश हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 252 तालुकों के 14000 गांवों में भूजल का स्तर कम से कम एक मीटर तक गिरा है। कांग्रेस द्वारा अहम ‘जलयुक्त शिविर’ योजना की आलोचना को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों ने इस योजना को कामयाब बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि योजना में भ्रष्टाचार हुआ है और इसे लागू करने के बावजूद भूजल का स्तर चिंतनीय ढंग से गिरा है। उन्होंने कहा कि तीन साल से कम बारिश हो रही है और किसान खेती के लिए भूजल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए कृषि उत्पादन में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने मंगलवार को कहा कि फडणवीस सरकार को राज्य में तुरंत सूखा घोषित करना चाहिए और स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय सहायता मुहैया करानी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्थिति गंभीर है। किसानों को खरीफ फसल का नुकसान हुआ है जबकि रबी की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मंत्री ‘कमी जैसे’ और ‘सूखा जैसे’ शब्दों से खेलने में व्यस्त हैं। चव्हाण ने कहा कि ‘जलयुक्त शिवार’ राज्य का सबसे बड़ा घोटाला है।