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फर्जी टीकाकरण अभियान से जनता को बचाने के लिए महाराष्ट्र सरकार व BMC बनाए एक मजबूत नीति: बंबई HC

बंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि टीकाकरण अभियान में धोखाधड़ी या फर्जीवाड़े को लेकर एक नीति बनाने की जरूरत है, जिससे इन फर्जी टीकाकरण जैसी घटनाओं से जनता को बचाया जा सके। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को एक आदेश दिया।

देश में जहां टीकाकरण अभियान को तेज करने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे है, केंद्र सरकार से लेकर तमाम राज्य सरकारें अपने-अपने हिसाब से टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए कई कोशिशें कर रही है। तो दूसरी ओर इस अभियान को फर्जी तौर पर भी चलाया जा रहा है, जो वाकई हैरानीभरा है। 
मंगलवार को बंबई हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को एक आदेश दिया। न्यायालय ने कहा कि टीकाकरण अभियान में धोखाधड़ी या फर्जीवाड़े को लेकर एक नीति बनाने की जरूरत है, जिससे इन फर्जी टीकाकरण जैसी घटनाओं से जनता को बचाया जा सके। 
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने मुंबई के कांदिवली इलाके की एक आवासीय सोसाइटी में हुई घटना की खबर का संज्ञान लिया। इस आवासीय सोसाइटी में आयोजित शिविर में फर्जी कोविड-19 रोधी टीके से टीकाकरण अभियान चलाया गया। अदालत ने कहा कि राज्य या निगम प्राधिकारों को जरूर इसका हिस्सा होना चाहिए और सोसाइटी और कार्यालय द्वारा आयोजित शिविरों में निजी टीकाकरण अभियान के संबंध में सभी जरूरी सूचनाएं उसके पास होनी चाहिए।
पीठ ने राज्य सरकार को घटना के संबंध में पुलिस की जांच पर प्रगति रिपोर्ट 24 जून तक सौंपने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘एक नीति होनी चाहिए। आवसीय सोसाइटी, अस्पतालों, निकायों के संबंध में सूचनाएं होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं ना हों।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यहां सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि जब पूरी मानवता परेशानियों का सामना कर रही है, तब भी कुछ लोग इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे हैं।’’
उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य के प्राधिकारों को ऐसी घटनाओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए और पूछा कि क्या धोखाधड़ी करने वालों पर महामारी कानून या आपदा प्रबंधन कानून के तहत मामले दर्ज किए गए। पीठ ने कहा, ‘‘जांच में देरी नहीं होनी चाहिए। जांच की प्रगति से हमें अवगत कराएं। यह गंभीर मामला है। जालसाज बेकसूर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘राज्य और बीएमसी के पास निजी टीकाकरण शिविरों के लिए जरूरत के आधार पर एक नीति या निर्देश होना चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाएं ना हों।’’ अदालत ने वकील अनिता शेखर कैस्टेलिनो की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि पुलिस को ऐसे गिरोहों को बेनकाब करना चाहिए।
राज्य के वकील दीपक ठाकरे ने अदालत को बताया कि कांदिवली मामले में पांच लोग आरोपी हैं। उनमें से चार लोग गिरफ्तार कर लिए गए हैं और एक डॉक्टर फरार है। अदालत ने निर्देश दिया कि पुलिस को सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। इस मामले में अदालत 24 जून को आगे सुनवाई करेगी।

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