महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में मक्का और कपास किसानों ने मानसून के बाद की भारी वर्षा में अपनी फसलें नष्ट हो जाने के कारण इस साल दिवाली नहीं मनाई। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि करीब-करीब सालभर शुष्क रहने वाले मराठवाड़ा क्षेत्र के इस जिले में वैसे तो मानसून के दौरान बहुत कम बारिश हुई लेकिन पिछले एक सप्ताह में यहां खूब वर्षा हुई है।
सोयेगांव तालुका के किसान ईश्वर सपकाल ने कहा, “पिछले साल कीटें हमारी 60-70 फीसदी कपास की फसलें खा गयीं। इस साल अत्यधिक वर्षा से कपास और मक्के दोनों ही फसलों को नुकसान पहुंचा। अब केवल 10 से 15 फीसदी फसलों की कटाई हो सकती है।”
कृषि मित्र सपकाल ने कहा, “जलभराव और नष्ट फसलों से दुर्गंध आने के कारण हम अपने खेतों में नहीं जा सकते। यह लगातार दूसरा साल है कि हम नुकसान उठा रहे हैं। हमने इस साल दिवाली नहीं मनाई है।” उन्होंने कहा कि कृषि मजदूर भी नुकसान हो चुकी फसलों की कटाई के लिए तैयार नहीं है।
एक अन्य किसान ने कहा, “पूरे जिले में सभी जगह यही हाल है। सोगांव तालुका में करीब 25 फीसदी कृषि क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचा है।” उसने कहा, “हम बस दस से बीस फीसदी कपास बचा पाये हैं लेकिन इस क्षतिग्रस्त फसल का बाजार भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि अच्छे कपास की स्थिति में हमें 5500 रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं।”