मध्य प्रदेश सरकार वैसे ही कई घोटालों के कारण बदनाम है, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के राज में एक और घोटाला सामने आया है। बता दें कि इससे पहले भी राज्य की राजनीति में व्यापम घोटाले ने बड़ा सियासी तूफान खड़ा किया था। जल संसाधन विभाग द्वारा स्वीकृत सिंचाई परियोजनाओं में बड़ा घोटाला सामने आया है। सात सिंचाई परियोजनाओं में टेंडर में तय तारीखों से तीन साल पहले ही करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। इस मामले के सामने आने पर जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कराए जाने के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए हैं।
जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.एन. मिश्रा ने बताया कि विभाग द्वारा अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के दौरान राज्य में सात सिंचाई परियोजनाओं की टर्नकी आधार पर बांध एवं प्रेशराईज्ड पाइप नहर प्रणाली के निर्माण के लिए 3,333 करोड़ रुपए की लागत की सात निविदाएं स्वीकृत की गई थी। बताया गया है कि रीवा की गंगा कहार के मुख्य सचिव द्वारा शासन के संज्ञान में यह तथ्य लाया गया कि गोंड वृहद परियोजना के लिए पेमेंट शेड्यूल में उल्लेखित शर्त को शिथिल कर दिया गया था। जांच पड़ताल में पाया गया कि, ऐसा कोई आदेश शासन स्तर से जारी नहीं किया गया है। इसकी पुष्टि के लिए प्रमुख अभियंता एवं मुख्य अभियंता (प्रोक्योरमेंट) से संबंधित नस्ती (नोटश्ट) एवं आदेश की प्रति प्राप्त की गई। इनके अवलोकन में पाया गया है कि शासन का अनुमोदन प्राप्त किए बिना ही शर्त को विलोपित करने संबंधित आदेश प्रमुख अभियंता ने अपने स्तर से सभी मुख्य अभियंताओं को जारी किया।इस मामले में मुख्य सचिव द्वारा भी इस संबंध में अभिमत चाहा गया।
जल संसाधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख अभियंता द्वारा निविदा प्रपत्रों के पेमेंट शेड्यूल में उल्लेखित शर्त को विलोपित करने संबंधित आदेश अपने स्तर से 17 मई 2019 को जारी किया गया, जिसका उन्हें अधिकार नहीं था। संबंधित परियोजनाओं के मुख्य अभियंता सहित अन्य मैदानी अधिकारियों ने भी बांध कार्य प्रारंभ किये बिना नहरों एवं प्रेशराइज्ड पाइप के कार्य हेतु सामग्रियों पर भुगतान करने की कार्यवाही की है, जो अनियमितता की श्रेणी में आता है।