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मालेगांव विस्फोट : गवाह का दावा-ATS ने योगी और RSS नेताओं के नाम लेने को किया था मजबूर

मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामले में 15वें गवाह ने कोर्ट में दावा किया कि एटीएस ने उसे उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के चार नेताओं के नाम लेने के लिए मजबूर किया था।

मालेगांव विस्फोट 2008 मामले में एक बड़ा मोड़ सामने आया है। केस से जुड़े 15 वें गवाह ने कोर्ट में दावा किया कि आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चार नेताओं के नाम लेने के लिए मजबूर किया था। 
इस गवाह का बयान महाराष्ट्र एटीएस ने दर्ज किया था। उल्लेखनीय है कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उस वक्त एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त थे, जब इसने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की जांच की थी। सिंह जबरन वसूली के कई मामलों का अभी सामना कर रहे हैं।
गवाह के दावे पर RSS ने की कांग्रेस नेताओं से माफीनामे की मांग 
गवाह के इस दावे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें तथाकथित ‘भगवा आतंकवाद’ के झूठे मामलों में फंसाने के लिए गंदी राजनीतिक साजिश रची गई थी।
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उन्होंने बीजेपी और RSS नेताओं के चरित्र हनन के लिए कांग्रेस नेताओं-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद से माफीनामे की मांग की।
योगी आदित्यनाथ और RSS के चार नेताओं का नाम लेने का था दवाब
दरअसल, एक गवाह ने  मंगलवार को स्पेशल एनआईए कोर्ट में गवाही दी। एटीएस ने उसका बयान उस वक्त दर्ज किया था, जब वह मामले की जांच कर रहा था। एनआईए ने मामले की जांच की जिम्मेदारी बाद में संभाल ली थी। गवाह ने अपनी गवाही के दौरान कोर्ट को बताया कि एटीएस के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी परमबीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उसे उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के चार नेताओं का नाम लेने को कहा था।
उसने दावा किया कि एटीएस ने उसे प्रताड़ित किया था और अवैध रूप से (एटीएस कार्यालय में) बैठा कर रखा था। उसकी गवाही के बाद कोर्ट  ने एटीएस के खिलाफ गवाही देने और आतंक रोधी एजेंसी के समक्ष कोई बयान देने से इनकार करने को लेकर उसे पक्षद्रोही गवाह (होस्टाइल विटनेस) घोषित किया। मामले में अब तक करीब 20 गवाहों का परीक्षण किया गया है, जिनमें से 15 मुकर गए हैं।
मुंबई से करीब 200 किमी दूर मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से अधिक घायल हो गये थे। मामले में आरोपी, लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी जमानत पर जेल से बाहर हैं।

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