पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को नंदीग्राम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की, जहां से 2016 में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी ने चुनाव जीता था। वहीं शुभेंदु पर निशाना साधते हुए उन्होंने नंदीग्राम में एक रैली में कहा दल बदलने वालों की चिंता नहीं है, जब तृणमूल कांग्रेस का गठन किया गया था, तब उनमें से कोई साथ नहीं था।
बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीतिक टकराव जोरों पर है ऐसे में ममता का यह एलान काफी अहम माना जा रहा है। वहीं रैली को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने दावा किया कि इस बार भी बंगाल में टीएमसी की सरकार बनेगी और पार्टी को 200 से अधिक सीटें मिलेंगी। ममता ने कहा कि मैं नंदीग्राम विधानसभा से चुनाव लड़ूंगी। अगर संभव हुआ तो मैं भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों से चुनाव लड़ूंगी।
उन्होंने आगे कहा कि नंदीग्राम आंदोलन किसने किया, इसपर मुझे किसी से ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। कृषि कानून को लेकर ममता ने कहा कि आज किसान भी आंदोलन कर रहे हैं और केंद्र सरकार को तीनों कानून तुरंत वापस लेने चाहिए। भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी दुसरे दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए पैसों का इस्तेमाल करती है। और यही वजह है कि आज कई लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
ममता बनर्जी ने रैली में कहा, “मैं नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी। यह मेरे लिए भाग्यशाली है। मैं नंदीग्राम को ज्यादा समय नहीं दे पाऊंगी, क्योंकि मुझे सभी 294 सीटों पर प्रचार करना होगा। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि मेरी जीत हो और बाकी मैं बाद में देख लूंगी।” मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगी, जिसमें कोलकाता में भबानीपुर भी शामिल है, जो उनका गढ़ है। उन्होंने कहा, “मैं भबानीपुर की भी उपेक्षा नहीं करना चाहती।”
अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने भी इस साल अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बतौर उम्मीदवार ममता के नाम की घोषणा की। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माकपा) के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा प्रस्तावित एसईजेड परियोजना के विरोध में पुलिस की गोलीबारी में 14 ग्रामीणों के मारे जाने के बाद नंदीग्राम 2007 में राजनीतिक सुर्खियों में आया था।