बंगाल विधानसभा चुनाव के प्रचार को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी और रैलियों का दौर जारी है। इस चुनाव में सबसे बड़ी लड़ाई नंदीग्राम में लड़ी जानी है और यह सीट बंगाल चुनाव की रणभूमि बन गयी है। नंदीग्राम सीट से 10 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नामांकन पत्र दाखिल करेंगी और इसके दो दिन बाद भाजपा के प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी इसी सीट से पर्चा भरेंगे।
इस बीच मंगलवार को नंदीग्राम में एक रैली को सम्बोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि यदि आप मुझे नामांकन दाखिल नहीं करने देना चाहते हैं, तो मैं नहीं करूंगी, लेकिन अगर आप मुझे अपनी बेटी मानते हैं तो मैं अपना नामांकन दाखिल कर आगे बढ़ूंगी। उन्होंने कहा कि मैंने लोगों की मांग के चलते नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का फैसला किया। मैंने मन बना लिया था कि मैं इस बार या तो सिंगूर से या फिर नंदीग्राम से चुनाव लड़ूंगी।
ममता ने इस निर्वाचन क्षेत्र के बूथ स्तर के तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि विभाजनकारी राजनीति नंदीग्राम में काम नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यदि सिंगूर में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन नहीं हुआ होता, तो नंदीग्राम का आंदोलन जोर नहीं पकड़ता। सीएम ममता ने कहा कि जो लोग भी मुझे नंदीग्राम में बाहरी बता रहे हैं, वे खुद ही बाहरी हैं। जो लोग साम्प्रदायिकता का सहारा ले रहे हैं, वे नंदीग्राम आंदोलन को बदनाम कर रहे हैं।
सीएम ममता ने मंच से ही चंडीपाठ करते हुए कहा कि मैं हिंदू हूं, कोई मुझे हिंदुत्व न सिखाए। मुझे नंदीग्राम आने से रोका गया था। यदि उस दौर में नंदीग्राम की मां और बहनें आगे न आतीं तो मूवमेंट नहीं होता।”