मणिपुर में बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद एन बीरेन सिंह लगातार दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभालने जा रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने एक बार फिर से एन बीरेन सिंह में भरोसा जताते हुए उन्हें लगातार दूसरी बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है। lबीरेन आज दोपहर 3:00 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे।
फुटबॉलर से पत्रकारिता और राजनीती का सफर
एन बीरेन सिंह ने फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर अपना सफर शुरू किया और फिर सीमा सुरक्षा बल में उन्हें नौकरी मिल गई। हालांकि इसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा और स्थानीय भाषा के अखबार ‘नहारोल्गी थोउदांग’ के संपादक बने।
बीरेन सिंह यहीं नहीं रुके और दो दशक पहले वह राजनीति के मैदान में कूद गए। वह पहली बार 2002 में डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी के टिकट पर विधानसभा के सदस्य बने। सिंह ने पहला चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया और 2003 में राज्य की तत्कालीन ओकराम इबोबी सिंह नीत सरकार में सतर्कता राज्य मंत्री बने और वन तथा पर्यावरण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला।
कांग्रेस से BJP का रुख
एन बीरेन सिंह इस सरकार में इबोबी सिंह के विश्वासपात्र बने और 2007 में फिर से निर्वाचित होने के बाद सिंचाई और खाद्य नियंत्रण, युवा मामलों और खेल तथा उपभोक्ता मामलों और जनापूर्ति विभाग के मंत्री बने। बीरेन सिंह 2012 में तीसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे लेकिन इबोबी सिंह से उनका रिश्ता बिगड़ गया था और उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
बाद में उन्होंने मणिपुर विधानसभा की सदस्यता और मणिपुर प्रदेश कांग्रेस समिति की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और अक्टूबर 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। बीजेपी में शामिल होने के बाद वह पार्टी की मणिपुर इकाई के प्रवक्ता और चुनाव प्रबंधन समिति के सह-समन्वयक बने। 2017 में वह बीजेपी के टिकट पर रिकॉर्ड चौथी बार हेईगांग सीट से निर्वाचित हुए और पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने।
हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं। लेकिन पार्टी कांग्रेस के कई विधायकों को अपनी ओर लाने में सफल रही और उसका संख्याबल बढ़कर 28 हो गया। सिंह ने 15 मार्च, 2017 को मणिपुर में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
उग्रवाद से प्रभावित मणिपुर में शांति की स्थापना
उग्रवाद से प्रभावित बहु-जातीय राज्य मणिपुर के मुख्यमंत्री के रूप में पिछले पांच साल में शांति स्थापना और घाटी तथा पहाड़ के लोगों के बीच की खाई पाटने का व्यापक रूप से श्रेय एन बीरेन सिंह को दिया जाता है। मुख्यमंत्री रहते हुए सिंह ने ‘गो टू हिल्स’ (पहाड़ों तक पहुंचें), ‘मीयाम्गी नुमित’ (हर महीने की 15 तारीख जनता का दिन) और ‘हिल्स लीडर्स डे’ (पहाड़ के नेताओं का दिन) जैसे कदम उठाए जिससे राज्य के सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों को भी अपने निर्वाचित नेताओं और शीर्ष नौकरशाहों से मिलने का मौका मिला।
सरकार को जनता के करीब ले जाने वाले इन कदमों के कारण सिंह को जमीन से जुड़ा नेता भी कहा जाता है। पिछले पांच साल में थोंगाम बिस्वजीत सिंह की मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा के कारण मणिपुर में सरकार के लिए कुछ आंतरिक चुनौतियां पैदा हुईं, लेकिन सिंह उनसे निपटते हुए पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे।