गुजरात के शिक्षा मंत्री के इलाके में सरकारी स्कूलों का पर्दाफाश। Live https://t.co/cGVbN5CZjX
— Manish Sisodia (@msisodia) April 11, 2022
बता दें कि दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने गत दिनों गुजरात के शिक्षामंत्री जीतूभाई वाघाणी को दिल्ली की स्कूल देखने आने का न्यौता दिया था। वाघाणी दिल्ली तो नहीं गये लेकिन गुजरात में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वालों को एक बयान में यह कह दिया कि गुजरात में पले बड़े हुए, यहां की स्कूल में पढ़े-लिखे अब यह अच्छा नहीं लगता है तो ऐसे अभिभावक अपने बच्चों के लिविंग सर्टिफिकेट लेकर किसी दूसरे राज्य या देश में चले जाएं जहां की शिक्षा उन्हें अच्छी लगती है। इस बयान पर चारों तरफ से घिरने के बाद वाघाणी ने अपने बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़कर कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया।
गुजरात के शिक्षा मंत्री की अपनी विधान सभा के स्कूलों के कमरों में मकड़ी के जाले लगे हुए हैं। स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क तो छोड़िए, फर्श भी किसी किसी कमरे में ही है।
ये है गुजरात में BJP का शिक्षा मॉडल। जो BJP ने 27 साल में गुजरात में डेवलप किया है। pic.twitter.com/kRkBVqK7lJ
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दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने जीतू वघान इलाके के हरदानगर स्कूल नंबर 62 का दौरा किया. उन्होंने एक बयान में कहा, “मैं आज स्कूल देखने आया हूं।” शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के स्कूल की स्थिति दयनीय है। टूटी दीवारें और दोपहर के भोजन के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं। आगे कहा कि कक्षा में बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है, छात्र टूटी दीवार वाले कमरे में पढ़ रहे हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि गुजरात में शिक्षा व्यवस्था बहुत खराब है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में धर्म और जाति के आधार पर राजनीति नहीं होनी चाहिए .
गुजरात के शिक्षा मंत्री के इलाके में जो स्कूल है वहां टॉयलेट ऐसे हैं कि आप एक मिनट नहीं खड़े रह सकते। कैसे यहां कोई टीचर 7 घंटे स्कूल में रह कर बच्चों को पढ़ाएगा?
पैरेंट्स ने बताया कि बच्चों या टीचर्स को टॉयलेट जाना होता है तो घर चले जाते हैं और कभी तो फिर वापस ही नही आते। pic.twitter.com/LTY8puwxer
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गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सोशल मीडिया पर जुबानी जंग
दिल्ली के शिक्षा मंत्री द्वारा दी गई चुनौती के बाद सोशल मीडिया पर बीजेपी और आप के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई. शिक्षा मंत्री जीतू वाघन के समर्थन में शिक्षा समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर ‘माई स्कूल इज माई प्राइड’ शीर्षक से एक पोस्ट शेयर किया। अधिकारी अच्छे स्कूलों की तस्वीरें भी ट्विटर पर पोस्ट कर रहे हैं।
सरकारी स्कूलों की ये बदहाली देखकर बहुत दुःख होता है
आज़ाद हुए 75 साल हो गए। हम अच्छी शिक्षा का इंतज़ाम नहीं कर पाए। क्यों? हर बच्चे को बेहतरीन शिक्षा नहीं मिलेगी, तो भारत कैसे तरक़्क़ी करेगा?आइए, हम प्रण लें कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले, इसके लिए हम सब मिलकर प्रयत्न करेंगे https://t.co/nFjj8CdIpa
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) April 11, 2022