झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को झामुमो के एक विधायक की शिकायत पर पुनः नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ दलबदल काननू की संगत धाराओं के तहत कार्रवाई की जाये। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने दलबदल कानून के तहत स्वतः संज्ञान लेते हुए सबसे पहले भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ कार्यवाही प्रारंभ की थी लेकिन गुरुवार को इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की कार्यवाही को उच्च न्यायालय द्वारा फिलहाल स्थगित किया गया। जिसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक भूषण तिर्की के 16 दिसंबर के आवेदन के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर मरांडी को नोटिस दिया और उनसे इस मामले में 21 जनवरी तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
मरांडी ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष की ओर से प्राप्त नए नोटिस के बारे में कहा कि वास्तव में ऐसा लगता है कि कल उच्च न्यायालय द्वारा विधानसभाध्यक्ष की पूर्व की कार्यवाही को फिलहाल स्थगित करने के आदेश से घबरायी राज्य सरकार ने दबाव डालकर विधानसभाध्यक्ष से यह नया नोटिस उन्हें भिजवाया है। मरांडी ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद उनके दल झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में पूरी तरह से विलय हो गया था और इसे चुनाव आयोग ने मान्यता दे दी। इसी कारण इस वर्ष राज्य में हुए राज्यसभा चुनावों में उन्हें चुनाव आयोग ने भाजपा विधायक के तौर पर मतदान करने की अनुमति दी थी। किसी पार्टी के अस्तित्व के बारे में कोई निर्णय लेने का पूरा अधिकार देश में चुनाव आयोग को ही है।
इसके बाद ही उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था। लेकिन न जाने क्यों विधानसभाध्यक्ष किसी के दबाव में इसमें व्यवधान डालने की कोशिश कर रहे हैं?’’ एक सवाल के जवाब में मरांडी ने कहा, ‘‘स्पष्ट है कि विधानसभाध्यक्ष राज्य सरकार के दबाव में हैं और उसी के इशारे पर इस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं।’’