कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री सीएन अश्वथ नारायण ने शुक्रवार को कहा कि मंत्री पद के इच्छुक या सरकार में बेहतर पद पाने के आकांक्षियों को पार्टी के मंच पर ही अपनी राय रखनी चाहिए न कि सार्वजनिक तौर पर। उनका यह बयान हाल में राज्य मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी नेताओं की खत्म नहीं हो रही नाराजगी के बीच आया है।
नारायण ने दोहराया कि कर्नाटक सरकार का रुख स्पष्ट है कि वह कावेरी नदी पर मेकेदातु परियरेजना को लागू करने पर आगे बढ़ेगी। इस परियोजना का पड़ोसी राज्य तमिलनाडु ने विरोध किया है। उन्होंने कहा,‘‘राजनीति में पद की इच्छा सामान्य है और लोगों को अपनी इव्छा व्यक्त भी करनी चाहिए, लेकिन यह चार दीवारी में होनी चाहिए न कि सार्वजनिक तौर पर।’’
नारायण ने हालांकि कहा कि पार्टी और सरकार में कोई भ्रम या अंतर की स्थिति नहीं है। उन्होंने यह बात, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद, भाजपा के भीतर नाराजगी बढ़ने की खबरों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कही। उल्लेखनीय है कि मंत्री पद के इच्छुक नेताओं ने मंत्री नहीं बनाए जाने पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है और खबर है कि इनमें से कुछ दिल्ली में अपनी सिफारिश करवा रहे हैं।
वहीं, आनंद सिंह और एमटीबी नागराज जैसे नेता मंत्री बनाए जाने के बावजूद आवंटित विभाग को लेकर सार्वजनिक रूप से नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं जिससे पार्टी और सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। मंत्रियों के बीच प्रतिस्पर्धा की खबरों को खारिज करते हुए रामनगर जिले के प्रभारी मंत्री ने कहा, ‘‘ ऐसी कोई बात नहीं है और प्रतिस्पर्धा केवल काम को लेकर होनी चाहिए। जिनको जो भी जिम्मेदारी सौंपी गई है वे उसी के अनुरूप कार्य करेंगे।’’