हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जीएस बाली ने आज आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार धर्मशाला में 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है और सरकारी अधिकारियों, स्कूली छात्रों, विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों पर रैली में शरीक होने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
श्री बाली ने अपने निवास पर एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लोग भ्रमित हैं कि क्या ‘जन आधार रैली‘ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में शुरू की योजनाओं को लेकर है या प्रदेश की भाजपा सरकार के एक साल पूरा होने पर। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब विधायक और मंत्री हर विभाग व स्कूलों से शिक्षकों को उपस्थिति के लिए मजबूर किया जा रहा हो तथा अनुपस्थिति की सूरत में तबादलों की धमकियां दी जा रही हों। उन्होंने आरोप लगाया कि दसवीं और बारहवीं कक्षा के बच्चों को बिना स्कूली गणवेश के रैली में आने को कहा जा रहा है जो हास्यास्पद है।
कांग्रेस सनेता ने आरोप लगाया कि विभिन्न जिलों के लिए ‘कलर कोड‘ निर्धारित किया गया है जिससे भीड़ जुटाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का जोखिम रहेगा। उन्होंने आरोप लगायया कि विधायक और मंत्री अधिकारियों को रैली में अधिकाधिक लोग जुटाने के लिए धमका रहे हैं जो ‘गैरकानूनी‘, ‘असंवैधानिक‘ व ‘अनैतिक‘ है।
उन्होंने सरकार पर केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश समेत कई मुद्दों को सुलझाने में प्रधानमंत्री पर विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि इस साल यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया क्योंकि जय राम ठाकुर सरकार विश्वविद्यालय के लिए जमीन हस्तांतरित नहीं कर पाई। श्री बाली ने आरोप लगाया कि दोनों सरकारें बेरोजगारी के मुद्दे पर भी विफल रहीं और प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बढ़कर दस लाख हो गई है।
उन्होंने पिछली सरकार की तरफ से दिया जा रहा बेरोजगारी भत्ता बंद करने को लेकर भी भाजपा सरकार की आलोचना की। श्री बाली ने अनुबंध पर तीन साल पूरे कर चुके 500 पीटीए शिक्षकों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू न करने को लेकर भी सरकार की आलोचना की।