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मिजोरम: मुख्यमंत्री जोरमथंगा को राहत, सत्ता के दुरुपयोग और अवैध सम्पत्ति के मामलों में अदालत ने किया बरी

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा को अदालत ने बड़ी राहत देते हुए उन्हें एक मामले में रिहा कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार,  भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक विशेष अदालत ने सत्ता के दुरुपयोग और आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति के मामलों में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा को बरी कर दिया है।

प्रिज्म और ‘मिजोरम उपा पाउल’ ने 2009 में दर्ज कराया था मामला 

‘पीपुल राइट टू इनफोरमेशन एंड डेवल्पमेंट इम्पलीमेंटिंग सोसाइटी ऑफ मिजोरम’(प्रिज्म) और ‘मिजोरम उपा पाउल’ ने 2009 में जोरमथंगा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उनके खिलाफ 2007 में शिरफिर के आई पुक इलाके में अपनी कृषि भूमि के लिए कृषि विभाग से लोहे की छड़ें और बकरों से बचाव के लिए तार के बने जाल खरीदने के लिए लोकसेवक के तौर पर अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। जोरमथंगा उस समय भी मुख्यमंत्री थे।

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राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने एक अतिरिक्त आरोप पत्र दायर किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि जोरमथंगा के पास आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति है। आरोप पत्र में कहा गया था कि जोरमथंगा ने 2003 में अपने हलफनामे में घोषणा की थी कि उनके पास 54.18 लाख रुपये की संपत्ति है, जो 2008 के चुनावों से पहले आय का कोई ज्ञात स्रोत दर्ज किए बिना 1.38 करोड़ रुपये से अधिक हो गई।

जरूरतमंद किसानों के लाभ के लिए कानूनी तरीके से सामग्री जारी की थी

न्यायाधीश वनलालेनमाविया ने पहले मामले में सोमवार को कहा कि कृषि विभाग ने जरूरतमंद किसानों के लाभ के लिए कानूनी तरीके से सामग्री जारी की थी। उन्होंने कहा कि लघु सीमांत किसानों को सहायता योजना के तहत बाड़ लगाने के लिए इन सामग्रियों को देने का प्रावधान है।

अदालत ने दूसरे मामले में कहा कि उसे यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले कि आरोपी के पास आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति थी और इसलिए उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (दंड) की धारा 13 (दो) (लोकसेवक द्वारा अपराध के लिए सजा) के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।