राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला कॉलेज के सभागार में आयोजित पूर्व सैनिक प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया। भागवत ने कहा कि पिछले 40 हजार से अधिक सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक है।
मोहन भागवत ने पूर्व सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, "मीडिया हमें सरकार के रिमोट कंट्रोल के रूप में संदर्भित करता है, लेकिन यह असत्य है। हालांकि, हमारे कुछ कार्यकर्ता निश्चित रूप से सरकार का हिस्सा हैं। सरकार हमारे स्वयंसेवकों को किसी भी प्रकार का आश्वासन नहीं देती है। लोग हमसे पूछते हैं कि हमें सरकार से क्या मिलता है। उनके लिए मेरा जवाब यह है कि हमारे पास जो कुछ भी है उसे हमें खोना भी पड़ सकता है।’’
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चिकित्सा में प्राचीन भारतीय पद्धतियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने कहा, “हमें हमारे पारंपरिक भारतीय उपचार जैसे कि काढ़ा, क्वाथ और आरोग्यशास्त्र के माध्यम से देखा गया। अब, दुनिया भारत की ओर देख रही है और भारतीय मॉडल का अनुकरण करना चाहती है। हमारा देश भले ही विश्व शक्ति न बने, लेकिन विश्व गुरु जरूर हो सकता है।’’
आरएसएस प्रमुख ने सीडीएस दिवंगत बिपिन रावत और 13 अन्य लोगों की याद में एक मिनट का मौन रखा जिनका हाल ही में तमिलनाडु में कुन्नूर के पास हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। उन्होंने एकता का आह्वान करते हुए कहा कि भारत की अविभाजित भूमि सदियों से विदेशी आक्रमणकारियों के साथ कई लड़ाई हार गई क्योंकि स्थानीय आबादी एकजुट नहीं थी।
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उन्होंने समाज सुधारक डा.बी आर आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा, ‘‘हम कभी किसी की ताकत से नहीं, बल्कि अपनी कमजोरियों से पराजित होते हैं।’’ सूत्रों ने कहा कि भागवत हिमाचल प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे पर हैं और वह तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात कर सकते हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन से चिपक जाते हैं, उन्हें कतई हटाया नहीं जा सकता है। हिंदोस्तान से हिंदू शब्द पड़ा। संघ से हिंदुत्व शब्द चिपक गया है। हिंदुत्व किसी को जीतने की बात नहीं करता। हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। हिंदुत्व जोड़ने की बात करता है, किसी को बांटता नहीं। पिछले 40 हजार से अधिक सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक है। धर्म का अर्थ धारणा है जोकि समाज को जोड़ता है। इसका अर्थ हिंदू और मुस्लिम नहीं होता है।