केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों में देश के सीमाई क्षेत्रों में जो आधारभूत विकास के कार्य हुए हैं वह पूर्ववर्ती 50 वर्षों में हुए कार्यों से बहुत अधिक हैं।
शाह ने सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले और सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि भारत अब केवल ‘‘राजनयिक बयान’’ जारी करने के बजाय दुश्मनों को करारा जवाब दे रहा है। शाह केंद्र सरकार के सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत गुजरात के कच्छ जिले के धोरडो गांव में ‘सिमांत क्षेत्र विकासोत्सव-2020’ में लोगों को संबोधित कर रहे थे।
इस कार्यक्रम में सरपंचों के साथ ही कच्छ, बनासकांठा और पाटन जिलों के अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि मौजूद थे जो पाकिस्तान के साथ जमीनी सीमा साझा करते हैं। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश की सीमा से लगे क्षेत्रों को विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल (भारत के पहले गृहमंत्री) ने सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने और वहां पानी, बिजली उपलब्ध कराने पर जोर दिया था लेकिन उनके निधन के बाद कांग्रेस सरकार ने इसे लागू नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अब, मोदीजी ने वह काम हाथ में लिया है।’’
उन्होंने कहा कि 2008 से 2014 के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में महज 170 किलोमीटर सड़कों के पुनर्निर्माण के मुकाबले मोदी सरकार में 2014 से 2020 के बीच 480 किमी सड़कों का पुनर्निर्माण हुआ। शाह ने कहा कि 2008 से 2014 के बीच सीमा के पास सिर्फ एक सुरंग के निर्माण की तुलना में, 2014 से 2020 के बीच छह सुरंगों का निर्माण पहले से ही कर दिया गया है और 19 अन्य पर काम शुरू हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये आंकड़े हमारी प्राथमिकता को दर्शाते हैं। हमने वर्ष 2020-21 में सीमा क्षेत्र के विकास के लिए 11,800 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार के तहत पिछले छह वर्षों में इन क्षेत्रों में जो बुनियादी ढांचा विकास हुआ है वह पिछले 50 वर्षों में जितना किया गया है, उससे कहीं अधिक है।’’
शाह ने कहा कि देश अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत किए बिना विकास के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों के पलायन को रोकना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए उन क्षेत्रों को शहरों के बराबर विकसित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी जी ने हमें निर्देश दिया है कि हम ऐसे गांवों को प्राथमिकता दें और इन क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं को कहीं और लागू करने से पहले लागू करें।’’ उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और शहरों के बराबर बेहतर संपर्क जैसी सुविधाएं मिलें।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हम दृढ़ता से मानते हैं कि जब तक सीमा पर रहने वाला नागरिक (सुरक्षा पहलुओं के बारे में) जागरूक नहीं होगा, तब तक देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘निकट भविष्य में, हम अपनी सीमाओं के पास रहने वाले लोगों को देश के सुरक्षा पहलुओं से जोड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेंगे और उन्हें उनके रणनीतिक महत्व के बारे में जागरूक करेंगे।’’
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में देश के अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में आयोजित किए जाएंगे और प्रधानमंत्री स्वयं इसमें शामिल होंगे। कार्यक्रम में कच्छ, बनासकांठा और पाटन जिलों के अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ही 158 सीमावर्ती गांवों के सरपंच मौजूद थे।
शाह ने भारत की भूमि सीमा को सुरक्षित करने में उनकी भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि ये निर्वाचित प्रतिनिधि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) या सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तरह ही महत्वपूर्ण हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री ने इस अवसर पर मौजूद लोगों को सूचित किया कि वह गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ भुज में शाम में इस क्षेत्र के विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ ‘‘एक प्रभावी निगरानी तंत्र निर्मित करने के लिए’’ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे।
शाह ने अपने संबोधन से पहले विभिन्न राज्य और केंद्र सरकार के विभागों, एजेंसियों और योजनाओं की प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया जिसमें गुजरात पुलिस, बीएसएफ, राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और पर्यटन विभाग आदि के स्टाल शामिल थे।