मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को विधानसभा में बहुमत हासिल करने का निर्देश देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई शुरू हो गयी है। याचिका राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दायर की गई है। कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा, आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं। मध्य प्रदेश ने कांग्रेस के गणतंत्र पर भरोसा किया। उस दिन सबसे बड़ी पार्टी ने विश्वास मत जीता था।
– दवे ने कोर्ट से कहा, राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री या अध्यक्ष को रात में शक्ति परीक्षण का आदेश देने का अधिकार नहीं है।
– न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच के समक्ष दवे ने कहा, 18 महीने तक सरकार का कामकाज स्थिर रहा। बीजेपी ने बल का इस्तेमाल किया है और वह संभवतः लोकतांत्रिक सिद्धांतों को नष्ट कर सकती है।
वहीं सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्यपाल, विधानसभा स्पीकर और राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा।
कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद बीजेपी की ओर से मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये पूरा मामला लोकतंत्र को जीवित रखने को लेकर है, लेकिन दूसरा पक्ष इस मामले में कृतज्ञता नहीं दिखा रहा है। वहीं बागी विधायकों ने कहा कि हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं।
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बता दें कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर उनसे कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत अल्पमत सरकार द्वारा संवैधानिक पदों की जा रही नियुक्तियों को रद्द करने और पिछले तीन दिन में सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों पर रोक लगाने की मांग की है।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए सदन में शक्ति परीक्षण कराए बगैर ही सोमवार को सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी थी।