भोपाल : मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायकों ने बेंगलुरु में रह रहे कांग्रेस के विधायकों को भाजपा द्वारा ‘‘बंधक’’ बनाकर रखे जाने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाक़ात की। विधायकों ने राज्यपाल से मांग करते हुए कहा कि आप बेंगलुरु में बंधक रह रहे सभी विधायकों को मुक्त कराने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर कार्रवाई करने का कष्ट करें।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने बताया कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल ने दोपहर को यहां राजभवन में टंडन से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कांग्रेस ने लिखा है, ‘‘निवेदन है कि मप्र कांग्रेस के 16 माननीय विधायकों को बेंगलुरु में भाजपा ने बंधक बनाकर रखा है। इन विधायकों को बंधन मुक्त करने के लिए विधायक दल के नेता मुख्यमंत्री कमलनाथ भी आपसे निवेदन कर चुके हैं।’’
ज्ञापन में कहा गया है कि आपको यह भी जानकारी होगी कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं विधायकगण बेंगलुरु में आज सुबह पहुँचकर इन बंधक बनाए गए विधायकों से मिलना चाहते थे। राज्यसभा उम्मीदवार होने के नाते कांग्रेस के इन मतदाता विधायकों से मिलकर वह अपना पक्ष रखना चाहते थे। उन्हें इन विधायकों से मिलने का अधिकार भी है किन्तु वहां की पुलिस एवं प्रशासन ने उन्हें नहीं मिलने दिया बल्कि सिंह एवं उनके साथ गए कांग्रेस के विधायकों को हिरासत में लिया है।
कांग्रेस ने राज्यपाल से मांग की, ‘‘हम कांग्रेस पार्टी के विधायक आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया आप बेंगलुरु में इन बंधक विधायकों को मुक्त कराने के लिए अपने संवैधानिक प्रभाव का उपयोग करते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का कष्ट करें।’’ राज्यपाल से मुलाकात करने के बाद कांग्रेस विधायकों ने राजभवन के बाहर मिन्टो हॉल में स्थित गांधी की प्रतिमा के सामने धरना भी दिया।
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गये। इसके बाद मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से ज्यादातर सिंधिया के समर्थक हैं। 14 मार्च, शनिवार को अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए जबकि शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है।