हाईप्रोफाइल हनी ट्रैप मामले पर दायर तीन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि जांच एजेंसी आयकर विभाग को दस्तावेज सौंपे और यह बताये कि मामले की जांच आखिर क्यों केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नहीं सौंपी जाए। हनीट्रैप प्रकरण से जुड़े खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाने के संबंध में दायर एक याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
यह याचिका हनीट्रैप मामले के मुख्य शिकायतकर्ता ने दायर की थी। अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार प्रशासनिक न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति शैलेंद, शुक्ला ने हनीट्रैप मामले में दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं की सोमवार को एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार से पूछा कि आरोप है कि हनीट्रैप मामले में विशेष जांच दल (एसीआईटी) का गठन राज्य सरकार ने किया है।
राज्य सरकार अपनी मंशा के मुताबिक प्रकरण की जांच को नियंत्रित कर रही है। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता शशांक शेखर ने बचाव करते हुए कोर्ट के समक्ष कहा कि मामले में एसआईटी का गठन राज्य सरकार ने नहीं किया है। इसका गठन पुलिस महानिदेशक ने किया है। जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब तलब किया है।
साथ ही दायर इसी जनहित याचिका की सोमवार को हुई सुनवाई के पहले आयकर विभाग ने भी एक अंतरिम आवेदन दायर कर हनीट्रैप की जांच कर रही एजेंसी से दस्तावेज सौंपे जाने की मांग की थी। कोर्ट को आयकर विभाग की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने बताया कि मामले में पुलिस पूछताछ में आरोपियों और अन्य के बीच लेन-देन होने के तथ्य सामने आए है। जिस पर कोर्ट ने आवश्यक दस्तावेज आयकर विभाग को आगामी दस दिनों में सौंपे जाने के आदेश दिए है।
उल्लेखनीय है कि दो अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कोर्ट से मांग की गई थी कि हाईप्रोफाइल हनीट्रैप प्रकरण की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए या हाईकोर्ट एक कमेटी गठित कर जांच अपनी निगरानी में कराए। उधर हनीट्रैप मामले के मुख्य शिकायतकर्ता प्रशासनिक अधिकारी (निलंबित) हरभजन सिंह ने हनीट्रैप मामले से जुड़े खबरों के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग को लेकर एक याचिका पृथक से दायर की थी।