मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने रविवार को कहा कि मौजूदा दौर में विश्वसनीयता की कसौटी पर राजनेता भी कसे जा रहे हैं और फिल्मी सितारों के उलट उनके पास किसी गड़बड़ पर ‘‘रीटेक’’ (शूटिंग के दौरान किसी दृश्य को फिर से फिल्माया जाना) का कोई अवसर नहीं होता।
गौतम ने इंदौर प्रेस क्लब में ‘‘वक्त की कसौटी पर मीडिया की विश्वसनीयता’’ विषय पर आयोजित परिसंवाद में कहा, ‘‘विश्वसनीयता की कसौटी पर हम राजनेता भी कसे जा रहे हैं। हमारे सामने और बड़ा संकट है। सिनेमा का कोई हीरो फिल्मांकन के समय किसी शॉट में अगर कोई गड़बड़ करता है, तो रीटेक कर लिया जाता है। लेकिन हमारी (राजनेताओं की) किसी गड़बड़ पर रीटेक नहीं किया जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मंचों पर राजनेताओं का हर कृत्य सीधे सबके सामने आ जाता है। पत्रकारों को ‘‘समाज की वेदनाओं के सबसे बड़े प्रवक्ता’’ करार देते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘केवल पत्रकारों के पास परकाया प्रवेश की क्षमता है। वे आम लोगों की वेदना महसूस कर उसे तंत्र के सामने उजागर करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि वक्त की कसौटी पर मीडिया घरानों की विश्वसनीयता और पत्रकारों की विश्वसनीयता को कसना अलग-अलग विषय हैं और इन विषयों को लेकर सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि बदलते समय के साथ पत्रकारिता की चुनौतियां बढ़ रही हैं और सभी तबकों से समाज की अपेक्षाओं में भी वृद्धि हुई है।
गौतम ने कहा, ‘‘हमें 100 बुझे हुए दीपक नहीं, बल्कि पत्रकार के तौर पर एक ऐसा जलता दीपक चाहिए जो पूरे समाज को जगा सके। यदि हमारे पास ऐसा पत्रकार है, तो मीडिया की विश्वसनीयता को कोई भी व्यक्ति चुनौती नहीं दे सकता, भले ही वह नारद मुनि का पौराणिक समय हो या आज का आधुनिक समय।’’
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि वह हर सुबह 30 से 35 अखबार पढ़ते हैं। उन्होंने अखबारों को उनके पाठकों के मुताबिक ढालने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘हमें अखबारों के ग्राहक नहीं, बल्कि उनके पाठक चाहिए।’’ परिसंवाद को वरिष्ठ पत्रकार जयदीप कर्णिक ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ने स्थानीय मीडिया प्रतियोगिताओं के विजेता संवाददाताओं और फोटो पत्रकारों को पुरस्कृत भी किया।