देहरादून : आयुर्वेद विवि के पूर्व कुलसचिव डॉ. मृत्युंजय मिश्रा को विजिलेंस की टीम ने सोमवार को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद आज उन्हें राजीव कुमार खुल्बे की कोर्ट में पेश किया गए, जहां से उन्हें 17 दिसंबर तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। वहीं, कोर्ट में बहस शुरू होने से पहले बचाव पक्ष के वकील ने अपील की थी कि डॉ मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी मंगाई जाये, जिसे कोर्ट ने तत्काल स्वीकारते हुए विजिलेंस को एफआईआर की कॉपी बचाव पक्ष को मुहैया कराने की आदेश दिये।
कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील ने अपनी बात रखते हुये कहा कि एफआईआर लगाए गए 22 बिंदुओं वाले आरोपों में किसी अन्य लोगों के बयान नहीं लिए गए हैं। बैंक खातों में ट्रांसफर हुई रकम के बारे में भी बैंक मैनेजर या अन्य अधिकारी से सबूत वाले बयान भी नहीं हैं। बचाव पक्ष अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले पर लंबे समय के बाद शासन के दबाव में आरोपी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई।
केस में कोई पुख्ता सबूत या किसी तरह के बयान अभी तक नहीं लिए गए हैं, ऐसे में डॉक्टर मृत्युंजय मिश्रा को एक सोची-समझी रणनीति के तहत फंसाया जा रहा है। उधर विजलेंस की तरफ से अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी ने 2013-14 में आयुर्वेदिक िविव के कुलसचिव रहते हुए हवाई यात्राओं को बिना शासन के अनुमति के दिखा लाखों का भुगतान वसूला।
इसके अलावा हवाई टिकटों में हेराफेरी कर बुकिंग डेट भी गलत तरीके से दिखाई गई, इतना ही नहीं आरोपी ने अपने भाई की पत्नी को उपनल के माध्यम से विश्वविद्यालय में लगाने का काम भी किया। कोर्ट सुनवाई में अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी पर लगे 22 बिंदु जिसमें से ज्यादातर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शासन द्वारा विजिलेंस को सौंपी गई थी, जिसमें प्रथम दृष्टया पर सभी आरोप सही पाए गए हैं।
अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि आरोपी डॉ मृत्युंजय मिश्रा ने आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में सप्लाई करने वाली दो कंपनियों के साथ मिलीभगत कर उनके अकाउंट में 1 करोड़ 8 लाख रुपये ट्रांसफर कराए। जिसके बाद उन खातों के एटीएम खुद अपने पास रखकर उसमें से पैसे निकाले। साथ ही कुछ रुपयों को अपने बैंक अकाउंट में भी ट्रांसफर किया।