भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार होने बावजूद भी देश में बिजली संकट गहराने लगा है। माना जा रहा है कि देश के कई पावर प्लांट्स में लगभव चार दिन का ही कोयले का स्टाक शेष है। कोयला संकट को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार पर हमलावर है। वहीं महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने कोयले पर आए संकट के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया है।
एनसीपी नेता ने मंगलवार को बोलते हुए कहा, मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में कोयले का संकट उत्पन्न हो गया। कई राज्यों में बिजली का संकट है, कटौती की जा रही है। जिस देश में सरप्लस बिजली बनाने की क्षमता है, आज कोयला न होने से संकट पैदा हुआ है। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी मोदी सरकार की है।
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देश में इस समय कई बिजली कंपनियों के सामने कोयले के स्टॉक का संकट खड़ा हो गया है। देश के कई राज्यों में बिजली संकट की स्थिति पैदा होने की बात सामने आ रही है। राज्य सरकारों ने बिजली संकट की बात है तो वहीं केंद्र ने बिजली के किसी भी तरह के संकट से इनकार किया है। भारत में ही नहीं मंडरा रहा है बल्कि चीन, यूरोप और अमेरिका में भी बिजली संकट बना हुआ है।
चार दिन से कम भंडार वाले बिजली प्लांट्स की संख्या बढ़कर हुई 70
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोयले के चार दिन से कम भंडार वाले बिजली प्लांट्स की संख्या रविवार को बढ़कर 70 हो गई, जो एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को 64 थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल 1,65,000 मेगावाट से अधिक स्थापित क्षमता वाले कुल 135 संयंत्रों में 70 संयंत्रों में 10 अक्टूबर 2021 को चार दिन से भी कम का कोयला बचा था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) इन 135 संयंत्रों की निगरानी करता है।
आंकड़ों से यह भी पता चला कि सात दिनों से कम ईंधन वाले गैर-पिट हेड संयंत्रों (कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों) की संख्या भी रविवार को बढ़कर 26 हो गई, जो एक सप्ताह पहले तीन अक्टूबर को 25 थी। सीईए की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि समीक्षाधीन अवधि में सात दिनों से भी कम कोयला भंडार वाले बिजली संयंत्रों की संख्या बढ़कर 115 हो गई, जो इससे पिछले सप्ताह 107 थी।