महाराष्ट्र में सरकार गठन पर जारी गतिरोध के बीच राकांपा नेता नवाब मलिक ने सोमवार को कहा कि राज्य में लोगों की दशा को ध्यान में रखते हुए एक विकल्प उपलब्ध कराना “हम सभी की” जिम्मेदारी है। हालांकि मलिक ने यह भी कहा कि राकांपा शाम में कोई भी फैसला अपनी सहयोगी कांग्रेस के साथ सहमति बना कर ही लेगी। साथ ही, उन्होंने कहा कि शिवसेना और राकांपा के बीच संवाद जारी है।
सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राकांपा के शिवसेना को समर्थन देने की संभावनाओं की खबरों के बीच मलिक ने कहा कि एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर काम करने के साथ ही “कुछ बड़े मुद्दों” पर सहमति बनाने की जरूरत है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता ने कहा, “लोगों एवं किसानों की दशा को देखते हुए एक विकल्प उपलब्ध कराना हम सभी की जिम्मेदारी है। हम कांग्रेस से एक निर्णय की उम्मीद कर रहे हैं। अगर सहमति बनती है, तो हम सरकार गठन की दिशा में आगे बढ़ेंगे।” हालांकि मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि राकांपा अपने फैसले पर तब तक आगे नहीं बढ़ेगी जब तक राज्य में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस नेतृत्व कुछ तय नहीं कर लेता।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देना है या नहीं, इस विषय पर फैसला करने के लिए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने सोमवार को नयी दिल्ली में एक बैठक की जिसमें कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। सूत्रों ने बताया कि पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता में उनके आवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक बेनतीजा रही और पार्टी नेतृत्व शाम चार बजे फिर बैठक करेगा। यह बैठक ऐसे वक्त में हुई जब कांग्रेस विधायकों ने संकेत दिया है कि वे राज्य में फिर से चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं।
मलिक ने कहा, “हम उनके फैसले के आधार पर निर्णय करेंगे। हम साथ में फैसला करेंगे क्योंकि हमने गठबंधन में चुनाव लड़ा था।” उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी विकल्प उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। लेकिन हमारा शुरु से ही यह रुख रहा है कि कोई भी फैसला कांग्रेस के साथ मिलकर लिया जाएगा।”
उद्धव ठाकरे नीत पार्टी के राकांपा के साथ संपर्क साधने के प्रयासों के बीच, मलिक ने कहा, “शिवसेना की ओर से संवाद जारी है। यह पहले भी चल रहा था, यह अब भी जारी है। लेकिन जब तक कांग्रेस कोई फैसला नहीं कर लेती, हम कोई निर्णय नहीं लेंगे।” सोमवार को राकांपा कोर समिति की बैठक से पहले, पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जारी गतिरोध पर उन्होंने अब भी कोई फैसला नहीं किया है।
उन्होंने कहा, “यह गंभीर मुद्दा है। भाजपा और शिवसेना ने गठबंधन में चुनाव लड़ा। उन्हें बहुमत मिला, हमें (कांग्रेस और राकांपा को) नहीं। बदलते राजनीतिक परिदृश्य में, यह कहना आसान नहीं है कि किसे किसके साथ सरकार बनानी चाहिए।” पटेल ने कहा, “हमने किसी के साथ कोई चर्चा नहीं की है। (राकांपा प्रमुख) पवार साहेब ने कहा कि कोई चर्चा नहीं हुई…हमने कोई फैसला नहीं किया है।”
बता दें कि राज्य में 105 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा ने रविवार को यह कहते हुए सरकार गठन का दावा पेश करने से इनकार किया कि उसके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है। इसके बाद राज्यपाल ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को आमंत्रित किया जो मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर भाजपा के साथ खींचतान में उलझी रही है। शिवसेना ने राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में 56 सीटें जीती हैं जबकि राकांपा और कांग्रेस ने क्रमश: 54 और 44 सीटें हासिल कीं।
शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस से बातचीत की कोशिशों में लगी है। वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी ने रविवार को कहा कि शिवसेना को पहले राजग से अलग होना होगा। मोदी मंत्रिमंडल में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार से अलग होने की घोषणा की।