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सुरक्षा बलों पर हमले का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिड़मा, जिसके सिर पर 40 लाख का है इनाम

शनिवार को सुकमा जिले के जोनागुड़ा और टेकलगुड़ा गांव के करीब नक्सलियों की बटालियन नंबर एक ने सुरक्षा बलों पर हमला किया था और इस हमले का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिड़मा है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में शनिवार को सुरक्षा बलों पर नक्सलियों की बटालियन नंबर एक ने हमला किया था। इस बटालियन ने बस्तर क्षेत्र में बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है जिसका नेतृत्व नक्सली कमांडर माड़वी हिड़मा करता है। सुरक्षा बलों को लंबे समय से नक्सली हिड़मा की तलाश है। 
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि शनिवार को सुकमा जिले के जोनागुड़ा और टेकलगुड़ा गांव के करीब नक्सलियों की बटालियन नंबर एक ने सुरक्षा बलों पर हमला किया था और इस हमले का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिड़मा है। 
उन्होंने बताया कि क्षेत्र में हिड़मा की उपस्थिति की जानकारी के बाद ही बड़ी संख्या में जवानों को अभियान पर भेजा गया था। हालांकि बाद में बटालियन नंबर एक से मुठभेड़ के दौरान 22 जवान शहीद हो गए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सली कमांडर हिड़मा क्षेत्र के सबसे कुख्यात नक्सली नेताओं में से एक है और पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश में है। 
माना जाता है कि लगभग 45 वर्षीय हिड़मा जोनागुड़ा से लगभग छह किलोमीटर दूर पूवर्ती गांव का निवासी है। जोनागुड़ा गांव के करीब ही शनिवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। उन्होंने बताया कि हिड़मा के सिर पर 40 लाख रुपये का इनाम है और पुलिस के पास हिड़मा की जो तस्वीरें हैं वे पुरानी हैं। 
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हिड़मा के नेतृत्व वाला बटालियन नंबर एक क्षेत्र में नक्सलियों का एकमात्र बटालियन है और इस बटालियन में नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस हैं। उन्होंने कहा कि घटनाओं को अंजाम देने के दौरान नक्सलियों के अन्य संगठन बटालियन नंबर एक की मदद करते हैं। 
नक्सली कमांडर हिड़मा के बारे में जानकारी मिली है कि वह 1990 के दशक में संगठन में भर्ती हुआ था। बाद में संगठन में उसकी तरक्की होती गई। वह बस्तर क्षेत्र में कई घटनाओं में शामिल रहने वाला सबसे वांछित नक्सली है। हिड़मा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य भी है। 
अधिकारियों ने बताया कि हिड़मा के बारे में सुरक्षा बलों को जानकारी मिली है कि वह एके 47 राइफल रखता है और गुरिल्ला लड़ाई में उसे महारत हासिल है। बताया जाता है कि वह हमेशा नक्सलियों के सुरक्षा घेरे में रहता है। 
हिड़मा को अभी तक पकड़ने या मार गिराने में असफलता को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जिस स्थान पर शनिवार को नक्सलियों से मुठभेड़ हुई है वह नक्सलियों के प्रभाव वाला इलाका है। उन्होंने कहा कि इस इलाके में लंबे समय तक सुरक्षा बलों के जवान नहीं पहुंचे थे और अब सुरक्षा बल लगातार इस क्षेत्र में अभियान चला रहे हैं। 
अधिकारियों ने बताया कि चूंकि वह बटालियन नंबर एक के प्रभाव वाला इलाका है इसलिए यहां के ग्रामीण भी नक्सलियों से भयभीत रहते हैं और सुरक्षा बलों की मदद करने से कतराते हैं। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इसके बावजूद क्षेत्र से मिली सूचना के आधार पर अभियान चलाया जा रहा है तथा इस क्षेत्र में शिविर स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। 
उन्होंने कहा कि अपने सिमटते क्षेत्र को बचाने के लिए नक्सली सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं और घटना को अंजाम देने के बाद वे कठिन भौगोलिक स्थिति का फायदा उठाकर वहां से भाग जाते हैं। 
अधिकारियों के मुताबिक, नक्सली कमांडर हिड़मा के बारे में सबसे पहले वर्ष 2010 में ताड़मेटला की घटना के दौरान जानकारी मिली थी। इस दौरान उसने अन्य नक्सली नेता पापा राव की मदद की थी। इस घटना में सुरक्षा बलों के 76 जवान शहीद हो गए थे। 
पुलिस अधिकारी ने बताया, “ शनिवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सली नेता हिड़मा पर प्रहार के लिए दबाव बनाया था। इस दौरान सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच चार घंटे तक गोलीबारी हुई। इस घटना में हमने अपने 22 जवानों को खो दिया लेकिन नक्सलियों को भी भारी नुकसान की सूचना है। इस हमले के बाद भी सुरक्षा बलों का मनोबल ऊंचा है। हम इस क्षेत्र में लगातार अभियान चलाने के लिए तैयार हैं।” 
उन्होंने बताया कि बटालियन नंबर एक ने कमांडर हिड़मा के नेतृत्व में 2013 में बस्तर जिले के झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल समेत कई नेताओं की मृत्यु हुई थी। 
इस बटालियन ने अप्रैल 2017 में सुकमा जिले के बुरकापाल में सुरक्षा बलों पर हमला किया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 24 जवानों की ‍शाहदत हुई थी। इसके अलावा पिछले वर्ष मिनपा में नक्सली हमले में 17 जवानों की हत्या की घटना को भी इसी बटालियन नंबर एक ने अंजाम दिया था। 
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यदि बस्तर में नक्सल समस्या का समाधान करना है तो बटालियन नंबर एक के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जरूरत है और सुरक्षा बल के जवान इस क्षेत्र में नक्सलियों के प्रभाव को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। 

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