महाराष्ट्र से शुरू हुआ हनुमान चालीसा विवाद प्रधानमंत्री आवास तक पहुंच गया है। एनसीपी कार्यकर्ता फहमीदा हसन खान ने प्रधानमंत्री आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति मांगी है। इस सम्बन्ध में उन्होंने सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा है।
मुंबई उत्तर जिला की एनसीपी कार्यकारी अध्यक्ष फहमीदा हसन खान ने अपने पत्र में लिखा कि, मुझे हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आवास के बाहर नमाज़, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, नवकार जैसे मंत्रों का पाठ करने की अनुमति दी जाए। कृपया सभी धर्मों का पाठ करने के लिए मुझे दिन और समय बताया जाए।
उन्होंने कहा कि वह हमेशा अपने घर पर हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा का पाठ करती हैं। अगर, रवि राणा और नवनीत राणा को मतोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने से फायदा दिख रहा है तो वह देश का फायदा करने के लिए पीएम मोदी के घर के बाहर सभी धर्मों का पाठ करना चाहती हैं।
फहमीदा हसन ने कहा, देश में बेरोजगारी और महंगाई जिस तरह से बढ़ रही है, उसको लेकर देश के प्रधानमंत्री को जगाना आवश्यक हो गया है। अगर हिंदुत्व व जैनिज्म को जगाकर देश से महंगाई व बेरोजगारी कम हो सकती है और देश को फायदा होता है, तो वह पीएम मोदी के घर के बाहर सर्वधर्म पाठ करना चाहती हैं।
हनुमान चालीसा विवाद को लेकर जेल में राणा दंपत्ति
बता दें कि हनुमान चालीसा विवाद को लेकर अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा जेल में हैं। राणा दंपत्ति ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ के बाहर शनिवार को हनुमान चालीसा के पाठ का ऐलान किया था, उसके बाद भड़के हुए शिवसैनिकों ने राणा दंपत्ति के आवास के बाहर प्रदर्शन किया।
इस बीच मुंबई पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और बाद में उसमें राजद्रोह का आरोप भी जोड़ दिया। रविवार को मुंबई की एक अदालत ने राणा दंपति को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। इसके बाद रविवार देर रात अमरावती से सांसद नवनीत राणा को भायखला महिला कारावास ले जाया गया।
राणा दंपति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा- 153 ए (अलग-अलग समुदायों के बीच धर्म, भाषा आदि के नाम पर विद्वेष उत्पन्न करना) और मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा-135 (पुलिस द्वारा लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने) का मामला दर्ज किया गया। अधिकारी ने बताया कि बाद में राणा दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में धारा 353 (सरकारी अधिकारी को कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल के इस्तेमाल या हमला करना) जोड़ी गई है।