लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

सीटों के फेरबदल से बिहार में बढ़ सकती हैं राजग की मुश्किलें

बिहार राजग में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए घटक भाजपा के 17 सीट, जदयू के 17 सीट और लोजपा के छह सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी।

बिहार में 17वें लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के बीच तालमेल के तहत सीटों के फेरबदल के बाद शुरू हुये अंतर्विरोध से राजग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बिहार राजग में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए घटक भाजपा के 17 सीट, जदयू के 17 सीट और लोजपा के छह सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी। इसके बाद पिछले सप्ताह सीटों की हुई घोषणा में एक बड़ा फेरबदल देखने को मिला।

भाजपा ने अपनी मजबूत सीटें गया (सुरक्षित), सीवान, भागलपुर और बांका जदयू को तथा नवादा लोजपा को दे दी। इसके बाद भाजपा में नेता, कार्यकर्ता एवं उसके कट्टर समर्थकों के स्तर पर विरोध दिखने लगे हैं। नवादा सीट से 2014 में निवर्तमान सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जीत दर्ज की। लेकिन, वर्ष 2019 के चुनाव में यह सीट केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के खाते में चली गई।

ramvilas paswan

अब गिरिराज सिंह के बेगूसराय संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अटकले हैं। हालांकि राजग के इस निर्णय से गिरिराज खासे नाराज चल रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि यदि उन्हें नवादा से लड़ने का मौका नहीं दिया गया तो इस बार चुनाव ही नहीं लड़ेंगे। उन्होंने सीटों के फेरबदल को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय पर आपत्ति जताते हुये कहा था, “मैंने उनके सामने पहले कई बार नवादा से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी और उन्होंने मुझे आश्वस्त भी किया था लेकिन अब के परिदृश्य में मुझे उनसे पूछना है कि उनके आश्वासनों का क्या हुआ।”

इतना ही नहीं शीर्ष नेतृत्व के फैसले से नवादा में भाजपा के नेता, कार्यकर्ता एवं कट्टर समर्थकों में भी खासी नाराजगी है। सूत्रों की मानें तो भाजपा चिकित्सा मंच के प्रदेश सहसंयोजक डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष केदार सिंह एवं जिला महामंत्री अरविंद गुप्ता ने पार्टी के इस फैसले को आत्मघाती कदम बताया है।

इसके अलावा प्रखंड स्तर के कार्यकर्ताओं में काफी रोष है। इस संसदीय क्षेत्र पर भाजपा ने चार बार कब्जा जमाया। इस सीट पर उसने पहली बार वर्ष 1996 में जीत दर्ज की। इसके बाद वर्ष 1999, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट उसके पास ही रही। वर्ष 1996 के आम चुनाव में भाजपा की टिकट पर मैदान में उतरे कामेश्वर पासवान ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रेमचंद राम को 96914 मतों के भारी अंतर से पराजित किया था।

इसके बाद 1999 में भाजपा उम्मीदवार संजय पासवान (453943) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी विजय कुमार चौधरी (369858), वर्ष डॉ। भोला सिंह (130608) ने लोजपा की वीणा देवी (95691) और वर्ष 2014 में गिरिराज सिंह (390248) ने राजद के राजबल्लभ प्रसाद (250091) को पटखनी दी। इस संसदीय क्षेत्र के छह विधानसभा सीटों में से दो हिसुआ और वारसलीगंज पर भाजपा जबकि अन्य चार रजौली (सुरक्षित) एवं नवादा पर राजद तथा गोबिंदपुर और सिकंदरा (सुरक्षित) पर कांग्रेस का कब्जा है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कयास है इस सीट से लोजपा बाहुबली सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को अपना उम्मीदवार बनाएगी। 17वें लोकसभा चुनाव में भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली गया (सुरक्षित) सीट के जदयू के खाते में जाने से वहां के लगातार दो बार 2009 और 2014 से सांसद हरि मांझी ने पार्टी के जिलाध्यक्ष धनराज शर्मा के बहाने अपना विरोध जता दिया है।

bjp

उन्होंने शर्मा पर आरोप लगाते हुये पिछले मंगलवार को कहा था कि उनकी साजिश के कारण ही यह सीट जदयू को मिल गई ताकि उनका पत्ता साफ हो सके। उन्होंने कहा कि शर्मा ने एक साजिश के तहत पार्टी की प्रदेश एवं केंद्रीय समिति को भ्रमित कर भाजपा की परंपरागत गया सीट को जदयू की झोली में डालने में अहम भूमिका निभाई है। गया संसदीय सीट पर वर्ष 1998 से भाजपा का कब्जा रहा है।

इस वर्ष भाजपा के कृष्ण कुमार चौधरी (303225) ने राजद की भगवती देवी (265779) को, 1999 में रामजी मांझी (319530) ने राजद के राजेश कुमार (298747), 2009 में हरि मांझी (246255) ने राजद के रामजी मांझी (1838002) और 2014 में हरि मांझी (326230) ने राजद के रामजी मांझी (210726) को हराया था। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में बाराचट्टी (सुरक्षित), बेलागंज और बोधगया (सुरक्षित) राजद के खाते में गया।

वहीं, जदयू ने शेरघाटी, भाजपा ने गया टाउन और कांग्रेस ने वजीरगंज पर कब्जा किया। भाजपा की भागलपुर सीट भी जदयू के खाते में जाने से समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। इस क्षेत्र में 2014 का चुनाव हारने के बाद भी भाजपा का काफी क्रेज है। ऐसे में सीट बदले जाने से संशय की स्थिति बनी हुई है। इस सीट पर भाजपा को पहली सफलता 1998 में मिली जब प्रभास चंद्र तिवारी (269927) ने राजद के चुनचुन प्रसाद यादव (257616) को पराजित किया था।

इसके बाद 2004 में भाजपा के सुशील कुमार मोदी (345151) ने माकपा के सुबोध राय (227298), 2009 में सैयद शाहनवाज हुसैन (228384) ने राजद के शकुनी चौधरी (172573) को हराया। हालांकि वर्ष 2014 में हुसैन (358138) को राजद के शैलेष कुमार उर्फ बुलो मंडल (367623) ने चित कर दिया। भागलपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें बिहपुर एवं पीरपैंती (सुरक्षित) पर राजद का, गोपालपुर और नाथनगर पर जदयू का तथा कहलगांव एवं भागलपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा है।

सिवान संसदीय क्षेत्र पर राजद का दबदबा रहा है लेकिन वर्ष 2014 के आम चुनाव में इस सीट पर निवर्तमान सांसद ओमप्रकाश यादव (372670) ने राजद के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शाहबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब (258823) को हराकर भाजपा का परचम लहराया। हालांकि यादव वर्ष 2009 में भी निर्दलीय चुनाव लड़कर विजयी रहे थे। इस बार उनका टिकट कटने से क्षेत्र में अंतर्विरोध की स्थिति देखी जा सकती है। हालांकि मुसलमान एवं यादव जाति बहुल इस क्षेत्र में इन दोनों जातियों का करवट लेना ही प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × one =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।