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Cyclone यास के दौरान ओडिशा और बंगाल में ऑक्सजीन प्लांट्स को संचालित रखना हमारी प्राथमिकता : NDRF

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपने बचाव दलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में लगे देश के बड़े चिकित्सकीय ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र चक्रवात ‘यास’ के दौरान भी ‘‘चलते रहें और काम करते रहें।’’

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपने बचाव दलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में लगे देश के बड़े चिकित्सकीय ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र चक्रवात ‘यास’ के दौरान भी ‘‘चलते रहें और काम करते रहें।’’ यह जानकारी सोमवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
एनडीआरएफ के महानिदेशक एस. एन. प्रधान ने बताया कि बल ने राहत एवं बचाव अभियान के लिए कुल 149 टीम काम पर लगाई हैं, जिसमें से 99 को जमीन पर तैनात किया गया है जबकि शेष 50 देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर तैनात रहेंगी, ताकि जरूरत पड़ने पर त्वरित वायु परिवहन की सुविधा दी जा सके।
प्रधान ने कहा कि जिन राज्यों के ‘काफी तीव्र चक्रवाती तूफान’ से प्रभावित होने की आशंका है, उनसे कहा गया है कि हर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए और ‘‘इसमें कोताही नहीं बरती जाए।’’ चक्रवात ताउते के दौरान पश्चिम तट पर समुद्र के अंदर हुई दुर्घटना को देखते हुए यह परामर्श जारी किया गया है। ताउते के कारण मुंबई के समुद्री तट पर एक बजरे में कार्यरत अभी तक 70 कर्मियों के मारे जाने की सूचना है।
चक्रवात यास उत्तर ओडिशा- पश्चिम बंगाल के तटों के बीच पारादीप और सागर प्रायद्वीप से 26 मई की दोपहर को गुजर सकता है। इस दौरान 155 से 165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। प्रधान ने कहा, ‘‘ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों दक्षिणी, उत्तरी और मध्य ग्रिड के लिए चिकित्सकीय ऑक्सीजन के बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। (चिकित्कीय ऑक्सीजन की जरूरत कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए पड़ती है।)’’
उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए अंगुल (ओडिशा) से ऑक्सीजन रेलगाड़ी और सड़क मार्ग से मध्य, दक्षिण और उत्तर भारत के कई हिस्सों में पहुंचाई जाती है। इसी तरह कोलकाता और हल्दिया (पश्चिम बंगाल) से उत्पादित ऑक्सीजन उत्तर, पूर्वी और देश के पूर्वोत्तर राज्यों में भेजी जाती है।’’ उन्होंने कहा कि इन सभी संयंत्रों को ‘‘चालू हालत में रखना है’’। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कोविड-19 देखभाल केंद्रों को भी हर संभावित क्षति से बचाना है और रोगियों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना है।

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