राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारतीय कलाओं को बढ़ावा देने के लिए इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया है। उन्होंने यहां दीनदयाल रोड स्थित संस्कार भारती के कला संकुल का शुक्रवार को लोकार्पण करते हुए कहा कि भारतीय कला का उद्देश्य सत्यं, शिवं, सुंदरम की ओर ले जाता है।
पश्चिम ने भौतिक सुख का रास्ता चुना और उसके अधूरेपन की अनुभूति सबको होती है। तृष्णा की बार-बार आवश्यकता होती है और पूर्ति करने में हम जीर्ण हो जाते हैं। इसी चक्कर में सारा जगत घूम रहा है। सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना काल में दुनिया में व्यापक तौर पर आत्मचिंतन हो रहा है कि व्यक्ति को महत्ता देकर आगे बढ़ना चाहिए। अब तीसरे रास्ते पर चर्चा हो रही है।
ऐसे में तीसरा रास्ता ढूंढने के लिए भारत के पास जाना होगा, इसका अंदाजा दुनिया को हुआ है। क्योंकि जहां से सुख की भावना पैदा होती है, भारत उस मूल तक जाता है। सुख की भावना जहां से उत्पन्न होती है, वहां जाने पर कभी न मिटने वाला सुख मिलता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने भारतीय कला को बढ़ावा देने के लिए इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बिना इकोसिस्टम के विपरीत परिस्थिति में काम करना पड़ेगा। मोहन भागवत ने दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित संस्कार भारती के जिस ‘कला संकुल’ का लोकार्पण किया, दरअसल वह कला-संस्कृति गतिविधि परिसर है, जिसमें कला साहित्य रंगमंच सहित अनेको विधाओं का संयोजन किया जाएगा।
कला संकुल में कला-संस्कृति की पुस्तकों से सुसज्जित एक समृद्ध पुस्तकालय, आर्ट गैलरी, सभागार, स्टूडियो एवं कांफ्रेंस रूम की सुविधा उपलब्ध होगी।
संस्कार भारती, आरएसएस की प्रेरणा से कार्य करने वाला एक राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है, जो देश की परंपरागत शास्त्रीय, लोक और आधुनिक कलाओं के माध्यम से लोक जीवन में राष्ट्रीय मूल्यों के बीजारोपण के लिए कार्य कर रहा है। मूल्य आधारित कला मनोरंजन के माध्मय से व्यक्ति का विकास ही संस्कार भारती का लक्ष्य है।