राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव से उन आरोपों की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है जिनमें कहा गया है कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में प्लास्टिक और खतरनाक बायो-मेडिकल कचरा सहित ठोस कचरा अवैध रूप से फेंका जाता है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को राज्य के वन और सिंचाई विभाग से आरोपों की सत्यता का पता लगाने को कहा। पीठ ने अपनी रजिस्ट्री को ई-मेल से आदेश राज्य के अधिकारियों को भेजने का आदेश दिया। पीठ ने अपने एक हालिया आदेश में कहा कि इस आदेश की एक प्रति मुख्य सचिव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सिंचाई विभाग के सचिव और उत्तराखंड के शहरी विकास विभाग को ई-मेल से भेजी जानी चाहिए।
एनजीटी ने आवेदक को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर उत्तराखंड के मुख्य सचिव और अन्य संबंधित विभागों को दस्तावेजों का एक सेट पेश करे और हलफनामा दाखिल कर बताए कि संबंधित दस्तावेज उन्हें भेजे गए हैं। पीठ ने बाद में इस मामले को उत्तराखंड राज्य के लिए ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के पालन पर इसी तरह के एक अन्य मामले के साथ जोड़ दिया। उस पर सितंबर में सुनवाई होनी है। एनजीटी एक एनजीओ और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए।