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आदित्य नहीं उद्धव सोच सकते हैं मुख्यमंत्री बनने के बारे में : रामदास अठावले

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा भाजपा को उसके अन्य सहयोगी दलों के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये न्योता दिए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री ने यह टिप्पणी की।

शिव सेना द्वारा आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जाने के बीच केंद्रीय मंत्री व आरपीआई (ए) के प्रमुख रामदास अठावले ने शनिवार को युवा नेता को महाराष्ट्र की राजनीति में नौसिखिया करार देते हुए इस पद के लिए सही नहीं माना। 

अठावले ने सुझाव दिया कि भविष्य में अगर अवसर मिले तो शिवसेना अध्यक्ष एवं आदित्य के पिता उद्धव ठाकरे इस शीर्ष पद के बारे में सोचें। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा भाजपा को उसके अन्य सहयोगी दलों के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये न्योता दिए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री ने यह टिप्पणी की। 

इस अवसर पर अठावले के अलावा महाराष्ट्र के मंत्री सदाभाऊ खोट, राष्ट्रीय समाज पक्ष के नेता महादेव जानकर और शिव संग्राम के विनायक मेते उपस्थित थे। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में अठावले ने शिवसेना से अनुरोध किया कि वह भाजपा पर ढाई-ढाई साल के लिये मुख्यमंत्री पद बांटने को लेकर जोर नहीं डाले। 

अठावले ने कहा कि शीर्ष पद को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच टकराव के कारण सरकार गठन में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेमौसम बरसात के चलते किसान संकट में हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर शिवसेना कांग्रेस या राकांपा के साथ हाथ मिलाती है तो यह गलत होगा। नियम के अनुसार राज्यपाल को सबसे बड़ी पार्टी को सरकार गठन के लिये आमंत्रित करने का अधिकार है।’’ 

मंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (राज्यपाल ने) यह भी कहा कि इसे (सरकार गठन) जल्द किया जाये। उन्होंने कहा कि अगर स्पष्ट बहुमत का प्रस्ताव उन्हें नहीं मिलता है तो वह अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे।’’ अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राकांपा के 15 साल के शासन के दौरान मुख्यमंत्री पद उस पार्टी को जाता था जो अधिक से अधिक सीटें जीतती थी। 

अठावले ने कहा कि हरियाणा में भी मुख्यमंत्री पद भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के पास है जबकि कुछ सीटें जीतने वाले जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दुष्यंत चौटाला उनके उपमुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ढाई-ढाई साल का यह प्रयोग (मुख्यमंत्री पद साझा करने का) देश में नहीं हुआ है। इसलिए मुझे लगता है कि शिवसेना को ऐसी मांग नहीं करनी चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि भविष्य में उद्धव जी को मुख्यमंत्री बनने के बारे में सोचना चाहिए। आदित्य हैं, लेकिन उनके पास अभी उतना उतना अनुभव नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि अगर आदित्य को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो राज्य कैसे चलेगा। 

शिवसेना के 1960 में गठन के बाद आदित्य ठाकरे परिवार को पहले सदस्य हैं जिन्होंने चुनाव लड़ा। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में वह मुंबई की वरली सीट से विधायक चुने गए। नई सरकार के गठन को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच गतिरोध चल रहा है। 

शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद और विभागों का 50-50 फीसदी के फार्मूले के तहत बंटवारे की मांग कर रही है। 
288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं जबकि शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। एनसीपी को 54 सीटें जबकि कांग्रेस को 44 सीटे मिली। प्रदेश में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। 

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