देहरादून : उत्तराखंड में पानी के संकट को देखते हुए सरकार राज्य में पेयजल कनेक्शन पर मीटर लगाने जा रही है। सरकार का तर्क है कि इससे पानी की बर्बादी कम होगी और साथ ही बिल में होने वाले विवाद से भी मुक्ति मिलेगी। पेयजल सचिव अरविंद सिंह ने बताया, ‘पेयजल कनेक्शन पर मीटर लगने से हर व्यक्ति पानी के महत्व को समझेगा और इसे बर्बाद भी नहीं करेगा। घरेलू लोगों को अभी एक निर्धारित रकम चुकानी पड़ रही है, जिससे कई बार विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने मीटर की व्यवस्था की है।’
उन्होंने बताया कि इसके तहत 90 शहरों के सभी घरों में पेयजल मीटर लगाया जाएगा। इसका खाका लगभग तैयार कर लिया गया है। सिंह ने बताया कि यह मीटर उच्च गुणवत्ता वाले होंगे और रीडिंग के आधार पर बिल आएगा। एक करोड़ से अधिक आबादी वाले उत्तराखंड में वर्तमान में 681298 पेयजल कनेक्शन हैं। इनमें 345373 शहरी क्षेत्रों में और शेष ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। पेयजल की उपलब्धता के हिसाब से देखें तो शहरी क्षेत्र में 135 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति का मानक निर्धारित है।
बावजूद इसके 92 में से 71 नगरीय क्षेत्रों में 70 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से ही पेयजल उपलब्ध हो पा रहा है। हालांकि, ये बात भी सही है कि शहरी क्षेत्रों में पेयजल संयोजन से उपलब्ध कराए जा रहे पानी का दुरुपयोग भी कम नहीं है। इसे निकट भविष्य में संभावित जल संकट को देखते हुए किसी भी दशा में उचित नहीं कहा जा सकता। जाहिर है कि पानी की किफायत का महत्व हर किसी को समझना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब पेयजल संयोजनों पर मीटर अनिवार्य करने का निश्चय किया है। इसकी शुरुआत शहरी क्षेत्रों से की जा रही है।