बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कोच्चि में हुए प्रदर्शनों में शामिल होने के बाद एक कैथोलिक नन को चर्च की ड्यूटी से दूर रहने के लिए कहा गया है। वहीं एक पादरी को अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है।
कोच्चि से रविवार की सुबह वायनाड लौटीं सिस्टर लूसी कलपुरा ने दावा किया कि उन्हें मदर सुपीरियर ने मौखिक रूप से सूचित किया है कि वह प्रार्थना कराने और चर्च से संबंधित अन्य ड्यूटी से दूर रहेंगी।
सिस्टर ने कहा,‘‘मुझे कोई लिखित आदेश नहीं दिये गये हैं। मुझे मदर सुपीरियर ने चर्च की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होने के लिए मौखिक रूप से सूचित किया है।’’
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की धज्जियां उड़ाता चिकित्सक
बहरहाल, वायनाड में सेंट मैरीज चर्च के फादर स्टीफन कोट्टाक्कल ने एक बयान में कहा कि चर्च से जुड़े लोगों द्वारा कुछ चिंता जताए जाने के मद्देनजर सिस्टर लूसी को ड्यूटी से दूर रहने को कहा गया है।
उन्होंने इस बात से इंकार किया कि ननों के प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उनके खिलाफ बदले की कार्रवाई की गयी है। सिस्टर लूसी इस बात पर कायम हैं कि ननों के प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उन पर रोक लगायी गयी है।
इस बीच पादरी बार यूहानोन रामबन ने रविवार को कहा कि उन्हें सीरिया के दमिश्क स्थित उनके चर्च मुख्यालय से एक पत्र मिला है जिसमें उन्हें ननों का प्रदर्शन करने के लिए चेतावनी दी जा रही है।
पत्र में कहा गया है कि उनकी गतिविधियां पादरियों की जीवन-शैली के अनुरूप नहीं थी और इससे संस्था की छवि प्रभावित हुयी है। उन्हें चेतावनी दी गयी है कि अगर वह ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं तो उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
पादरी ने आरोप लगाया कि कुछ स्थानीय बिशपों ने उनके खिलाफ साजिश की और सीरिया में चर्च के उच्च अधिकारियों को गलत जानकारी भेजी। उन्होंने अपना रूख स्पष्ट करते हुए संस्था के प्रमुख को पत्र लिखा है। सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने सिस्टर लूसी और पादरी के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की है।