विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी 3 दिसंबर 1984 को हुई थी, भोपाल गैस त्रासदी को घटे हुए आज 36 साल बीत चुके हैं। इस विकराल दुर्घटना में हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और कई लोग दिव्यांग हो गए थे। आज भोपाल गैस त्रासदी की 36वीं बरसी पर मध्यप्रदेश की राजधानी के बरकतउल्ला भवन में (सेन्ट्रल लायब्रेरी) में आयोजित प्रार्थना सभा में 2-3 दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी गैस में मारे गए हजारों लोगों को श्रृद्धांजलि दी गई।
इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो गैस त्रासदी से पीड़ित भाई-बहन बचे हैं उनकी ज़िंदगी कैसे गुजर रही है हम जानते हैं। “मेरी वो विधवा बहनें जिनका सबकुछ इस त्रासदी में चला गया उनकी 1000 रुपये की पेंशन जो 2019 में बंद कर दी गई थी उस पेंशन को दोबारा शुरू किया जाएगा ताकि उन सभी का अंतिम समय ऐसे संकटों से ना गुजरें। इसके साथ ही सीएम शिवराज ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी का स्मारक हमें भोपाल में जल्द बनाना चाहिए ताकि ये स्मारक दुनिया को सबक दे, हमें याद दिलाए कि कोई शहर भोपाल ना बने। हम असुरक्षा से कोई चीज़ ना बनाए जो इंसान पर भारी पड़े। उदहारण के तौर पर हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम का उपयोग ना हो ये सीख देते हैं।
बता दें कि 3 दिसंबर को हुआ ये हादसा इतिहास में होने वाला सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा था। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनाइट रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया। तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वाल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 3,787 की मौत हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गैस से करीब 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।