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घर के गहने बेचने का विपक्ष का आरोप कमजोर : वित्त मंत्री सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में निजीकरण पर जोर दिये जाने को लेकर विपक्ष के ‘परिवार के गहने बेचने’ के आरोप को रविवार को कमजोर करार दिया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में निजीकरण पर जोर दिये जाने को लेकर विपक्ष के ‘परिवार के गहने बेचने’ के आरोप को रविवार को कमजोर करार दिया। उन्होंने कहा कि पहले की सभी सरकारों ने विनिवेश किया है।
उन्होंने कारोबारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए यहां कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने तो एक बार में एक कंपनी बेचने के बजाय इस बारे में स्पष्ट नीति तैयार की है, कि किन कंपनियों का विनिवेश किया जाना चाहिये और किन रणनीतिक क्षेत्रों को नहीं छुआ जाना चाहिये।
बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सरकारी बीमा कंपनी को बेचने का प्रस्ताव किया गया है। विपक्ष लगातार इसकी आलोचना कर रहा है। विपक्ष ने इसे परिवार के गहने बेचना करार दिया है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जो विपक्ष का आरोप है कि घर के गहने बेचे जा रहे हैं, ऐसा नहीं है।
घर के जेवर को ठोस बनाया जाता है, इसे हमारी ताकत होनी चाहिये। चूंकि आपने इतने खराब तरीके से इनपर खर्च किया कि इनमें से कई चल पाने में सक्षम नहीं हैं। कुछ ऐसे हैं, जो बेहतर कर सकते हैं, लेकिन उनके ऊपर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि अतीत के समाजवादी मुहर वाले सुधारों के बाद भी कारोबार बाधित हुआ। कई सरकारी कंपनियां ऐसी हैं, जिनके पास पेशेवर विशेषज्ञता की कमी है। अभी कुछ सरकारी कंपनियां ऐसे क्षेत्रों में कारोबार कर रही हैं, जो रणनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य इस नीति के माध्यम से ऐसे उपक्रमों को सक्षम बनाना है। उन्होंने कहा, ‘‘आपको उनकी आवश्यकता है, आपको उन्हें बड़े पैमाने पर ले जाने की आवश्यकता है ताकि वे बढ़ते भारत की आकांक्षाओं को पूरा करें।’’ सीतारमण ने कहा कि सरकार का कभी कोविड-19 कर या उपकर लगाने का विचार नहीं रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि मीडिया में कोविड-19 कर या उपकर लगाने की चर्चा कैसे शुरू हुई? हमारा कभी ऐसा विचार नहीं रहा।’’ वित्त मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि जब दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी से संघर्ष कर रही थीं, हमने इससे बचाव का रास्ता ढूंढ लिया था।
उन्होंने कहा कि आज भारत की आकांक्षाओं और विकास जरूरतों के लिए भारतीय स्टेट बैंक के आकार के 20 संस्थानों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईडीबीआई के अनुभव से विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) का विचार आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा संचालित सिर्फ एक डीएफआई होगा और इसमें निजी क्षेत्र की भूमिका होगी।
सीतारमण ने अर्थव्यस्था में आ रहे सुधार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले तीन माह के दौरान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह बढ़ा है। इस मौके पर हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा कि बजट 2021-22 राहत, वसूली और सुधार पर ध्यान केंद्रित करने वाला ‘न्यू डील’ का भारतीय संस्करण है।
बीएसई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशीषकुमार चौहान ने कहा कि इस बजट की तुलना में सिर्फ 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत सुधार दस्तावेज ही खड़ा हो सकता है।

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