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हिजाब के समर्थन में उतरे ओवैसी, कहा- मेरा सपना है कि एक दिन हिजाब पहनने वाली पीएम बने, पसंद है तो आप पहनो बिकनी

कर्नाटक के चर्चित हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को फ़िलहाल बरक़रार रखा है। हालांकि, मामले में सुनवाई कर रही पीठ में शामिल दोनों जज जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अलग अलग तर्क दिया

कर्नाटक के चर्चित हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को फ़िलहाल बरक़रार रखा है। हालांकि, मामले में सुनवाई कर रही पीठ में शामिल दोनों जज जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अलग अलग तर्क दिया। इस बीच अब असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपना तर्क रखा है। उनका कहना है कि हिजाब किसी पर थोपा नहीं जा रहा है, लेकिन अगर कोई पहनना चाहता है तो उसे रोकना भी नहीं चाहिए। 
जानिए ओवैसी ने क्या कहा 
वही, उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत लोगों के सिर और पेट में दर्द होता है, जब मैं बोलता हूं की हिजाब पहनने वाली एक दिन देश की पीएम बने ऐसा मेरा सपना है। मुझे क्यों ये नहीं बोलना चाहिए। लेकिन आप कहते हैं कि किसी को हिजाब नहीं पहनना चाहिए। फिर क्या पहनना चाहिए? बिकिनी? मैं इसे गलत नहीं मानता हूं। आपके पास अधिकार है। आप पहन सकते है। लेकिन आप यह क्यों चाहते हैं कि मेरी बेटियां हिजाब न पहनें और मैं दाढ़ी कटवा दूं।’
हम नहीं डालते किसी पर दबाव : ओवैसी 
इसी के साथ असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा,’ हम लोगों से बोला जा रहा कि हम दबाव बनाते है। क्या हम बच्चियों पर हिजाब पहनने का दबाव बनाते है? क्या हम सच में लड़कियों से जबरदस्ती कर रहे हैं? तो बता दें ऐसा कुछ नहीं है। अगर कोई लड़की अपनी मर्जी से हिजाब पहनती है तो प्रॉब्लम क्या है। कोई लड़की अगर हिजाब पहन रही तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसकी बौद्धिकता में कोई कमी है।’
क्या है हिजाब विवाद? 
हम आपको बता दें, इस साल जनवरी में, उडुपी में पीयू कॉलेज द्वारा छह लड़कियों को कपड़े पहने हुए कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। जिसके बाद छात्राएं कॉलेज के बाहर ही धरने पर बैठ गईं। इसके बाद मामला इतना बढ़ गया कि पुलिस भी इस मामले में कुछ नहीं कर पाई। उडुपी के कई कॉलेजों के लड़के भी भगवा स्कार्फ पहनकर कक्षाओं में जाने लगे। यह विरोध इतना बढ़ गया कि यह राज्य के कई हिस्सों में फैल गया और इसके बाद कर्नाटक में भी कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कई दिनों तक मामला इतना गरमा गया कि विरोध थम नहीं रहा था।

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