ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए एक गठजोड़ बनाने की संभावना पर चर्चा करने के लिए रविवार को यहां के एक प्रभावशाली मुस्लिम धर्म गुरु अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की। साथ ही, ओवैसी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस राज्य में भाजपा की तेजी से बढ़ती पैठ को रोकने में नाकाम रही है।
राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है। हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ में सिद्दीकी के साथ दो घंटे की बैठक के बाद ओवैसी ने संवाददाताओं से बात की, लेकिन वह भगवा पार्टी पर कोई सीधा हमला करने से दूर रहे। पड़ोसी राज्य बिहार में अपने अच्छे प्रदर्शन के बाद बंगाल में चुनाव लड़ने की घोषणा करने के बाद ओवैसी की इस राज्य की यह पहली यात्रा है।
बंगाल के अपने पांच घंटे के तूफानी दौरे पर ओवैसी ने तृणमूल कांग्रेस के इस दावे को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी भाजपा की ‘‘बी-टीम’’ है और भगवा पार्टी के प्रतिद्वंद्वी दलों का वोट काटेगी। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ‘‘हम एक राजनीतिक पार्टी हैं, हम अपनी मौजूदगी स्थापित करेंगे और चुनाव (बंगाल में) लड़ेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी द्वारा अभी इस बारे में फैसला किया जाना बाकी है कि वह केवल अपने बूते पर ही बंगाल चुनाव लड़ेगी, या किसी संगठन के साथ गठबंधन करेगी।
हालांकि, एआईएमआईएम प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि उन्हें फुरफुरा शरीफ के पीरजादा सिद्दीकी का समर्थन प्राप्त है। फुरफुरा शरीफ बंगाल के हुगली जिले में स्थित एक मशहूर मजार है। बिहार में भाजपा नीत राजग को जीतने में मदद करने के तृणमूल कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि टीएमसी को पहले आत्मावलोकन करना चाहिए।
गौरतलब है कि ओवैसी की पार्टी ने हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती थी, जिससे राजद नीत महागठबंधन को नुकसान हुआ और वह राज्य में सरकार बनाने से चूक गया। ओवैसी ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस को आत्मावलोकन करना चाहिए और पता करना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को किस चीज ने फायदा पहुंचाया। पार्टी को इस बारे में सोचना चाहिए कि उसके सदस्य क्यों उसे छोड़ कर जा रहे हैं। ’’
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो टीएमसी की झोली में गई 22 सीटों से महज चार सीटें कम थीं। यह पूछे जाने पर कि बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान वह किन मुद्दों का जिक्र करेंगे, ओवैसी ने कहा, ‘‘उनकी पार्टी के दो बड़े चुनावी मुद्दे- विकास और कमजोर तबके का सशक्तीकरण रहेंगे। ’’
इससे पहले, ओवैसी ने सिद्दीकी के साथ एक वर्चुअल बैठक करने का फैसला किया था, लेकिन उन्होंने आखिरी क्षणों में अपना मन बदला और उनसे सीधे मिलने के लिए बंगाल के लिए उड़ान भरी। एआईएमआईएम के प्रदेश सचिव ज़मीरुल हसन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ओवैसी बैठक को गुप्त रखना चाहते थे क्योंकि हमें आशंका थी कि राज्य सरकार उन्हें हवाईअड्डे से बाहर निकलने से रोक सकती है। वह कोलकाता हवाईअड्डे से अब्बास सिद्दीकी से मिलने के लिए सीधे हुगली गए। वह आज दोपहर बाद हैदराबाद लौट जाएंगे।’’
हसन के मुताबिक ओवैसी चुनाव की तैयारियों और चुनाव प्रचार के लिए अक्सर ही राज्य का दौरा करेंगे। फुरफुरा शरीफ के पीरजादा (धार्मिक नेता) सिद्दीकी कई मुद्दों पर राज्य सरकार के खिलाफ बोलते रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वह अपना खुद का एक अल्पसंख्यक संगठन शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, एआईएमआईएम प्रमुख की फुरफुरा शरीफ की यात्रा पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी सांसद सौगत रॉय ने कहा, “एआईएमआईएम, भाजपा के छद्म रूप के अलावा कुछ नहीं है। ओवैसी अच्छी तरह से जानते हैं कि ज्यादातर मुसलमान बंगाली भाषी हैं, और उनका समर्थन नहीं करेंगे। वह अब्बास सिद्दीकी के साथ संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। बंगाल में मुसलमान ममता बनर्जी के साथ मजबूती से खड़े हैं।”
हालांकि, राज्य में प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने दावा किया है कि एआईएमआईएम के बंगाल चुनाव में प्रवेश के साथ यहां के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, ओवैसी अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं और इसके लिए वह पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगे हुए हैं, क्योंकि राज्य में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इनमें से कम से कम 24 फीसदी बंगाली भाषी मुस्लिम हैं। वहीं, भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘‘हमें बंगाल में जीतने के लिए किसी बी टीम या सी टीम की जरूरत नहीं है।’’