तमिलनाडु सरकार ने आज केंद्र से अनुरोध किया कि वह बांध सुरक्षा विधेयक को लागू करने के फैसले को फिलहाल के लिए टाल दें। राज्य सरकार ने कहा कि उसने पहले कुछ आपत्तियां जताई थी और उसके बाद से इस मामले पर उसे कोई संशोधित मसौदा प्राप्त नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री के . पलानीस्वामी ने अनुरोध किया कि बांध सुरक्षा विधेयक 2018 को कानूनी जामा पहनाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को तब तक टाल दिया जाए जब तक सभी राज्य विचार – विमर्श करके किसी आम सहमति पर ना पहुंच जाए।
उन्होंने कहा कि दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता ने मसौदा विधेयक , 2016 के ‘‘ कुछ उपबंधों ’’ पर आपत्ति जताई थी। राज्य ने पहले भी केंद्र से आग्रह किया था कि विधेयक पर फिर से विचार किया जाए और इसे जल्दबाजी में तथा तमिलनाडु की आपत्तियों पर विचार किए बगैर लागू ना किया जाए।
मुख्यमंत्री ने पड़ोसी राज्य केरल में स्थित मुल्लापेरियर बांध का जिक्र करते हुए कहा , ‘‘ भारत सरकार ने 2016 के बाद कोई संशोधित मसौदा जारी नहीं किया और ऐसा माना जाता है कि विधेयक को उसके मूल स्वरूप में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। ’’
उन्होंने कहा , ‘‘ विधेयक का उन बांधों पर व्यापक असर पड़ेगा जिनके संचालन और देखरेख का काम राज्य सरकारें करती हैं, खासतौर से उन बांधों पर जो हैं तो पड़ोसी राज्यों में स्थित लेकिन उन का संचालन तथा देखरेख का काम तमिलनाडु सरकार करती है । ’’
मुल्लापेरियार बांध केंद्र के इडुक्की जिले में स्थित है तथा तमिलनाडु इसका संचालन करता है। दोनों राज्यों के बीच इसकी सुरक्षा तथा जल भंडारण स्तर को लेकर अनबन रहती है।
पलानीस्वामी ने अपने पत्र में कहा कि वह मानते हैं कि ‘‘ बांध सुरक्षा पर ऐसे विधेयक पर आगे बढ़ने से पहले सभी राज्यों की सहमति हासिल करना उचित है। मैं इन परिस्थितियों में आपसे अनुरोध करता हूं कि बांध सुरक्षा विधेयक 2018 को कानूनी जामा पहनाने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले को तब तक टाल दिया जाए जब तक सभी राज्य इस विचार – विमर्श कर किसी आम सहमति पर ना पहुंच जाए। ’’
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