बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परम बीर सिंह अत्याचार के मामले में ठाणे पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर रद्द कराने के लिए अवकाशकालीन पीठ से संपर्क कर सकते हैं। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पितले की खंड पीठ ने समय की कमी का हवाला देते हुए कहा कि पीठ गुरुवार को सुनवाई के लिए परम बीर सिंह की याचिका नहीं ले सकती।
कोर्ट ने कहा, ‘‘अगर जल्दी है तो आप (परम बीर सिंह) अवकाशकालीन पीठ के पास जा सकते हैं।’’ सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खम्बाटा ने कहा कि मामले में कोई जल्दबाजी नहीं है। सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता ही यह निर्णय लेगा कि क्या ऐसा करना आवश्यक है या नहीं। हाई कोर्ट ने फिर कहा कि वह गुरुवार को मामले में सुनवाई नहीं कर सकती और याचिकाकर्ता चाहे तो अवकाशकालीन पीठ के समक्ष जा सकता है।
बॉम्बे HC से अनिल देशमुख को लगा करारा झटका, CBI की FIR को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
परम बीर सिंह ने अपनी याचिका में पिछले महीने अत्याचार रोकथाम कानून के तहत अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने का अनुरोध किया है। यह एफआईआर महाराष्ट्र के अकोला में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर भीमराव घाडगे की शिकायत पर आधारित है। घाडगे ने अपनी शिकायत में ठाणे में तैनाती के दौरान सिंह एवं अन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।