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देशभक्ति किसी एक पार्टी की ‘बपौती’ नहीं : शिवसेना

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मुंबई : शिवसेना ने सोमवार को कहा कि देशभक्ति किसी एकमात्र पार्टी की ‘बपौती’ नहीं है और गलत तरीके से लोगों को सिर्फ इसलिए ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ कहना कि वे राजनीतिक विरोधी हैं, यह अभिव्यक्ति की आजादी के हनन के अलावा कुछ नहीं है। पार्टी की यह टिप्पणी हवाई हमले के राजनीतिकरण को लेकर चल रहे विवाद की पृष्ठभूमि में आयी है।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘‘देशभक्ति किसी एक पार्टी की बपौती नहीं है… हमें हैरानी होती है कि नेता यह कब समझेंगे कि यह कार्रवाई (हवाई हमला) उनका (सैनिकों का) कर्तव्य था, न कि कोई कार्य जो उनसे करने को कहा गया हो।’’ शिवसेना ने दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी द्वारा हाल में एक रैली में सेना की वेशभूषा धारण करने का हवाला देते हुए कहा कि हवाई हमले का सबूत मांगने वाले लोग जितने गलत हैं उतना ही अनुचित वोट बटोरने के लिये सेना की वर्दी पहनकर उसकी वेशभूषा धारण करने वालों का आचरण भी है।

शिवसेना ने कहा कि यह सैनिकों और उनके शौर्य का अपमान है। केंद्र एवं महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कहा, ‘‘सैनिकों की वर्दी पहनने का ओछा काम क्यों किया गया, जिस वर्दी को वे इतने कठिन श्रम, परिश्रम और कड़ी मेहनत से हासिल करते हैं? इससे विपक्ष के वे आरोप मजबूत ही होते हैं कि भाजपा हवाई हमले का राजनीतिकरण कर रही है।’’ ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, पुलवामा में आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये और यह कृत्य हवाई हमले से कहीं अधिक गंभीर है। इसी तरह सत्ता में बैठे लोगों को किनारे करने के लिये विपक्ष भी कश्मीर में हुए रक्तपात की तस्वीरें दिखा सकता है। इसमें लिखा है, ‘‘सीधी बात यह है कि हमलोग अपने सैनिकों की शहादत को रोकने में असफल रहे हैं लेकिन कुछ लोग राजनीतिक कारणों से अपने चुनावी प्रचार के तहत उनकी वेशभूषा धारण करते हैं, उनके जैसी वर्दी पहनते हैं।

यह ठीक नहीं है तभी तो चुनाव आयोग को भी इसमें दखल देना पड़ा और राजनीतिक दलों को यह हिदायत देनी पड़ी कि वे अपने चुनाव प्रचार में जवानों की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करें।’’ शिवसेना ने शहीद सैन्य अधिकारी कर्नल संतोष महादिक और मेजर प्रसाद महादिक की पत्नियों क्रमश: स्वाति महादिक एवं गौरी महादिक के ‘‘वास्तविक साहस’’ की प्रशंसा की जिन्होंने देश की सेवा के लिये कठिन प्रशिक्षण लेने और सैन्य बल में शामिल होने का साहस दिखाया।

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