देहरादून : उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने दून मे मांग उठाई की देश की सीमा की रक्षा व आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उत्तराखंड के वीर सैनिक जो शहीद हुए है उनके नाम पर सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं चलाये। रविवार प्रातः 11.30 बजे उत्तराखण्ड क्रान्ति दल से जुड़े दर्जनों कार्यकर्ता बी डी रतूड़ी के नेतृत्व मे घंटाघर के निकट स्थित इंद्रमणि बडोनी पार्क मे पहुंचे जहां उन्होंने नारेबाजी करते हुए धरना दिया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओ को सम्बोधित करते हुए बीडी रतूड़ी ने कहा की हमारा देश भारत वर्ष विगत लगभग 40 वर्षो से आतंकवाद से जूझ रहा है।
हमारी सेना और अर्धसैनिक बल आतंकवाद के खिलाफ लड़ते-लड़ते अपनी जान को देश की रक्षा के लिए न्योछावर करते आ रहे हैं। देश की सीमा हो या आतंकवाद हो इस लड़ाई में हमारे वीर सैनिको की शहादत आम हिंदुस्तानी को झकजोर रही है। अभी हाल में हुए पुलवामा आतंकी हमले में हम ही नही बल्कि बाहरी देश भी निंदा कर रहे है। आतंकवाद की लड़ाई में उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों के बलिदान को सरकार अपनी सहानुभूति तो कर रही है लेकिन हकीकत है कि सब राजनीति से प्रेरित है।
पुलवामा आतंकी हमले में 40 से अधिक वीर सैनिक शहादत दे चुके हैं जो पेरामिलट्री से हैं उन्हे शहीद का दर्जा नहीं, इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है। पुलवामा शहीदों के नाम पर मोहल्लों के सड़को एवं चौराहों के नाम रखने की बात सरकार कर रही है। चाहे निगम ही क्यो न हो। इस अवसर पर उत्तराखण्ड क्रान्ति दल ने सरकार से मांग की कि देश की सीमा की रक्षा व आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए उत्तराखंड के वीर सैनिक जो शहीद हुए है उनके नाम पर सरकार जनकल्याणकारी योजना चलाये। अभी हाल में हुए आतंकी हमले में उत्तराखण्ड के वीर सपूतों के नाम पर देहरादून में नव निर्मित फ्लाईओवर के नाम रखा जाए।
देश की सुरक्षा व आतंकवाद के खिलाफ अर्द्ध सैनिक बल की शहादत को शहीद का दर्जा नही दिया जाता जबकि इन रणबांकुरों अपनी कुर्बानी देश के लिए दी। इसलिए केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र है लेकिन राज्य सरकार इन शहीदों को शहीद का दर्जा दे व केंद्र सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजे। शहीद वीर सैनिकों के लिए उनके परिवार को सरकार के द्वारा सहायता घोषणा पर अमल किया जाय वह घोषणा ही बनकर न रहे। अर्ध सैनिक को सैनिक का दर्जा दिया जाय। धरने में बैठने वालों मे बीडी रतूड़ी, हरीश पाठक, लताफत हुसैन, पंकज व्यास, सुनील ध्यानी, शांति भट्ट, रेखा मिया, गीता बिष्ट, विजय बौड़ाई, समीर मुखर्जी, शैलेन्द्र पैन्यूली, आशीष गुप्ता
आदि थे।
– सुनील तलवाड़