बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने गुरुवार को पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) में जमा राशि की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश देने को लेकर दायर की गई याचिका खारिज कर दी। केंद्र सरकार ने इस फंड का गठन कोरोना वायरस महामारी के बीच किया था।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस संबंध में मांगी गई सभी राहत से इनकार किया जाता है। यह याचिका वकील अरविंद वाघमारे ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि कोर्ट सरकार को कोष में जमा की गई राशि और खर्चे की जानकारी सरकारी वेबसाइट पर समय-समय पर देने का आदेश दे।
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि कोर्ट सरकार और इस न्यास को विपक्षी दलों के कम से कम दो सदस्यों की नियुक्ति या नामित करने का आदेश दे ताकि इस कोष की पारदर्शिता बनी रहे। इस न्यास की स्थापना कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश और विदेश के लोगों से आर्थिक मदद हासिल करके कोविड-19 प्रभावितों को मदद देने के लिए की गई है।
केंद्र सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए इसे खारिज करने की मांग की थी। केंद्र ने कहा कि पीएम केयर्स न्यास को चुनौती देने वाली इस तरह की एक याचिका को उच्चतम न्यायालय खारिज कर चुका है। वाघमारे ने अपनी याचिका में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम केयर्स न्यास के अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।
याचिका में दावा किया गया, ‘‘पीएम केयर्स फंड के दिशा-निर्देश के अनुसार अध्यक्ष औऱ तीन अन्य सदस्यों के अलावा अध्यक्ष को तीन और न्यासियों को नियुक्त या नामित करना है। हालांकि, 28 मार्च 2020 को इस न्यास के गठन के बाद से इस संबंध में कोई नियुक्त नहीं हुई है।’’