महाराष्ट्र में किराने की दुकानों और सुपरमार्केट्स में शराब की बिक्री की अनुमति के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने बीते महीने ही सुपरमार्केट और किराने की दुकानों पर शराब बेचने की अनुमति दी थी।
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप कुसलकर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार का यह फैसला शराब के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने के उद्देश्य को प्रभावित करेगा और व्यक्ति को बिना किसी निगरानी के खुद से शराब खरीदने का मौका देगा।
किशोरों, युवाओं तथा अनाथ या माता-पिता का संरक्षण न प्राप्त कर पा रहे बच्चों के लिए काम करने वाले याचिकाकर्ता ने कहा है कि ऐसे बच्चे शराब या नशीली दवाओं की लत और जुए जैसी सामाजिक बुराइयों के मामले में अतिसंवेदनशील होते हैं।
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याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार का गत 27 जनवरी का फैसला अगस्त 2011 में किए गए सरकार के उस संकल्प के विरुद्ध है, जिसमें उसने नशामुक्ति नीति को अपनाया था। इस नीति का मकसद युवाओं में नशे की बढ़ती लत को रोकना और लोगों को शराब पीने की आदत से दूर रखना है।
याचिका में कहा गया है कि जनवरी 2022 का यह निर्णय केवल शैक्षणिक और धार्मिक संस्थानों के निकट दुकानों में शराब की बिक्री को प्रतिबंधित करता है। याचिकाकर्ता संभवत: अगले सप्ताह याचिका की त्वरित सुनवाई के लिए हाई कोर्ट से अनुरोध करेगा।